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भगवान शिव को क्यों पसंद है श्मशान, जानिए . . .

भगवान शिव यूं तो संसार के कण-कण में बसते हैं, मगर इन स्थानों में भी एक स्थान है श्मशान।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 02:55 PM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 02:55 PM (IST)
भगवान शिव को क्यों पसंद है श्मशान, जानिए . . .
भगवान शिव को क्यों पसंद है श्मशान, जानिए . . .

मुजफ्फरपुर। भगवान शिव यूं तो संसार के कण-कण में बसते हैं, मगर इन स्थानों में भी एक स्थान है श्मशान। जहां आदमी सामान्य दिनों में जाना भी पसंद नहीं करता। बाबा भोलेनाथ श्मशान में भी निवास करते हैं। वे बताते हैं कि जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं। हमें जीवन में संतुलन बनाए रखना चाहिए।

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आज ज्यादातर लोग स्वार्थ पूर्ति के लिए भगवान को भजते हैं। उनकी आराधना में प्रेम कम व स्वार्थ ज्यादा होता है। वे इस सच से अनजान रहते हैं कि यह संसार केवल एक मिथ्या मात्र है। भगवान शिव ने मोह माया की दुनिया से दूर रहने के लिए श्मशान घाट को चुना। 'शम' का अर्थ है 'शिव' और 'शान' का अर्थ 'शयन' यानी 'बिस्तर' है। जहां निष्प्राण शरीरों को रखा जाता है, वहां शिव रहते हैं। इन्हें विनाशक कहा जाता है। ऐसा नहीं है कि वह आपका नाश करना चाहते हैं। दरअसल, वे श्मशान में इंतजार कर रहे होते हैं, क्योंकि जब तक शरीर नष्ट नहीं होगा, लोगों को यह पता नहीं चलेगा कि आखिर मौत क्या है? श्मशान में बैठे शिव का यह संदेश है कि अगर आप मर भी गए तब भी ठीक है। लेकिन, अगर आपने जीवन को छोटा बनाने का प्रयास किया तो उसका कोई लाभ नहीं।

सिद्धेश्वरी दुर्गा मंदिर के पुजारी पं. देवचंद्र झा ने बताया कि माना जाता है कि श्मशान घाट एकमात्र ऐसी जगह है जहा सही मायने में शरीर से आत्मा मुक्त हो जाती है। उनका ध्येय यही है कि हम जान सकें कि इस जगत में कुछ भी स्थाई नहीं। मोह-माया की दुनिया में सब मिथ्या मात्र हैं। वास्तव में श्मशान में ही जीवन का वास्तविक ज्ञान है।

यहा रहने वाले लोग खोपड़ी की माला पहनते हैं। राख अपने तन पर लगाते हैं। भगवान शिव हमें जीवन को संतुलित बनाए रखना सिखाते हैं। जिस तरह से शिव ने अपने गले में जहरीले साप की माला को धारण किया है। ठीक उसी तरह अमृत व विष को एक साथ पीकर उन्होंने समानता के बारे में सीख दी है।


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