एईएस से बचाव की जानकारी दी या नहीं, होगी जांच
एईएस से इस वर्ष जिन ब'चों की मौत हुई उसके परिजनों से यह जानकारी ली जाएगी कि बीमारी से बचाव के बारे में जानकारी दी गई थी या नहीं।
मुजफ्फरपुर। एईएस से इस वर्ष जिन बच्चों की मौत हुई उसके परिजनों से यह जानकारी ली जाएगी कि बीमारी से बचाव के बारे में जानकारी दी गई थी या नहीं। यह जानकारी गांव स्तर पर आशा, एएनएम, सेविका, सहायिका आदि द्वारा दी जानी है। एईएस की समीक्षा बैठक में शुक्रवार को डीडीसी अरविंद कुमार वर्मा ने सभी प्रखंडों के वरीय पदाधिकारियों को इसकी जांच का निर्देश दिया। अधिकारी एईएस से मरने वाले बच्चों के परिजनों से जानकारी लेंगे। इसके अलावा इस बिंदु पर भी जांच होगी कि बच्चों में एईएस का लक्षण देखते ही उसे अस्पताल ले जाने के लिए वाहन उपलब्ध कराया गया था या नहीं। यह कार्य विकास मित्र, डीलर आदि को किया जाना था।
मालूम हो कि डीएम धर्मेद्र सिंह ने डीडीसी को एईएस की समीक्षा करने को कहा है। डीडीसी ने निर्देश दिया कि घर-घर जाकर लोगों को बीमारी से बचाव की जानकारी देनी है। वहीं बीमारी का लक्षण दिखाई देते ही पीड़ित बच्चे को अस्पताल भेजना है। बैठक में सिविल सर्जन डॉ. ललिता सिंह, जिला पंचायती राज पदाधिकारी एनके सिंह, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी डॉ. बीएन सिंह, डीपीआरओ नागेंद्र कुमार गुप्ता आदि मौजूद थे।
बीमारी का यह है लक्षण
- बच्चे को एकाएक तेज बुखार आ जाना। शरीर में ऐंठन या मुंह से झाग निकलना
यह करें उपाय
- उक्त लक्षण आते ही बच्चों के शरीर से कपड़े उतार उसके शरीर को गीले कपड़े से पोंछना शुरू करें। उसे हवादार जगह पर ले जाएं
- झाड़-फूंक व ओझा-गुणी के चक्कर में ना आएं। अविलंब अस्पताल ले जाएं
यह भी है बचाव
- रात में बच्चों को खाली पेट नहीं सोने दें। रात्रि के भोजन में मीठा को करें शामिल
- गिरे व सड़े फल बच्चों को नहीं खिलाएं
- आसपास का वातावरण साफ रखें