जब जिम्मेदारों ने नहीं सुनी फरियाद तो ग्रामीणों ने खुद श्रमदान कर बनाई सड़क
50 वर्ष हरनाटांड़ से अमहट व बेलहवा जाने वाली मुख्य सड़क के निर्माण की उठ रही आवाज। 04 माह के लिए इस रास्ते से आवागमन हो जाती है बंद।
पश्चिम चंपारण, जेएनएन। जब अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों की गुहार नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने खुद से ही श्रमदान कर सड़क का निर्माण कर दिया। आजादी के 70 वर्षों के बाद भी यह सड़क नहीं बनी है। बगहा दो प्रखंड के महुआ कटहरवा पंचायत के अमहट गांव के ग्रामीणों श्रमादान से सड़क का निर्माण कर प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को आईना दिखाया है। यह जर्जर सड़क अमहट-बेलहवा मुख्य सड़क को हरनाटांड़ को जोड़ती है। ग्रामीणों के प्रयास से अब सड़क चलने लायक हो गई है।
ग्रामीण गोविन्द महतो ने बताया कि लगातार स्थानीय जनप्रतिनिधियों, विधायक व सांसद से गुहार लगाने के बाद भी जब सड़क नहीं बनाई गई। तो इसके बाद रविवार को अमहट गांव के ग्रामीणों ने मिलकर इस जर्जर कच्ची सड़क पर श्रमदान कर मिट्टी भराई की और आवागमन बहाल कर दिया। सड़क निर्माण में जुटे वार्ड प्रतिनिधि ओमप्रकाश राम, ग्रामीण गोविन्द महतो, बीरेंद्र महतो, मनोज दहईत, घनश्याम महतो, लखन महतो व तुलसी महतो आदि ने बताया कि सरकार से लेकर जनप्रतिनिधियों तक से उक्त सड़क को बनाने के लिए कई बार गुहार लगाई गई। लेकिन हमारी आवाज अनसुनी ही रह गई।
आखिरकार श्रमदान से सड़क निर्माण किया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि अमहट गांव के बगल से होकर गुजरने वाली इस सड़क पर बरसात के दिनों में चारपहिया वाहन तो दूर दोपहिया भी निकलना मुश्किल होता है। अमहट गांव से हरनाटांड़ जाने के लिए यह एकमात्र सड़क है। जिसके जर्जर हो जाने से आवागमन बाधित हो जाता है। ऐसे में इसे खुद से ही बनाकर आवागमन बहाल करना पड़ता है।
इस बारे में महुआ कटहरवा की मुखिया ज्ञानू देवी ने कहा कि सड़क के निर्माण के लिए कई बार अधिकारियों से भी अपील की गई है। लेकिन अब तक निर्माण कार्य की दिशा में कार्रवाई आरंभ नहीं हो सकी है।
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