Bihar Assembly Elections: ...जब प्रचार के लिए नाव से जाने को तैयार हो गए थे जॉर्ज साहब
अतीत के आईने से पहले के नेता और कार्यकर्ता पार्टी के लिए होते थे समर्पित। समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस ने सीतामढ़ी के इलाकों में चुनाव प्रचार के लिए नाव से की थी यात्रा। जानिए क्या कहते हैं BRABU के सिंडिकेट सदस्य डॉ. हरेंद्र कुमार..
मुजफ्फरपुर [अमरेंद्र तिवारी]। लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव और प्रचार का व्यापक महत्व है।हर दौर में इसकी उपयोगिता को समझा और स्वीकार किया गया। इस कालखंड में कई बदलाव भी देखे गए। नेताओं और कार्यकर्ताओं की कार्यशैली बदल गई। पार्टीगत निष्ठा में भी गिरावट आ गई है। पहले चुनाव प्रचार के दौरान लोग स्वत: अपने नेता के पीछे चलते थे। अब तो पैसे देकर कार्यकर्ता बुलाए जा रहे हैं। समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस के करीबी रहे बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य डॉ. हरेंद्र कुमार कहते हैं कि अब हर बात बदल गई है। 80 के दशक तक पाॢटयां अपने आदर्शों व विचारों को लेकर प्रतिबद्ध होती थीं। लेकिन, बाद के वर्षों में गिरावट होने लगी।
वे जॉर्ज साहब के चुनावी दौरे से जुड़ी एक घटना का जिक्र करते हैं। बात 1997 की है। सीतामढ़ी के बेलसंड में उपचुनाव था। वहां से वृषिण पटेल समता पार्टी से चुनाव लड़ रहे थे। जॉर्ज साहब चुनाव प्रचार के लिए वहां पहुंचे। कई जगहों पर उनकी नुक्कड़ सभाएं की गईं। बेलसंड के आसपास प्रचार हुआ। इसके बाद उन्होंने पूछा... हरेंद्र, अब मुझे कहां ले चलोगे ? तय हुआ कि तरियानी इलाके के दो-तीन गांवों में चला जाए। लेकिन, उन इलाकों में जाने के लिए नाव का सहारा लेना होता था। लोगों के मन में सवाल था कि क्या जॉर्ज साहब नाव से जाना स्वीकार करेंगे? जब यह बात उनके सामने पहुंची तो वे सहर्ष तैयार हो गए।
वे जिस गांव में जाते ग्रामीण आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रहते। नाव की सवारी की खूब चर्चा हुई। जॉर्ज साहब ने नुक्कड़ सभाएं कर प्रत्याशी के लिए समर्थन मांगा। उनके विचारों से वोटर प्रभावित हुए। अंतत: वृषिण पटेल की जीत हुई।