पश्चिम चंपारण: बरसात में चार महीने टापू में तब्दील हो जाते बगहा के 22 गांव, पीने लायक नहीं रह जाता चापाकल का पानी
पश्चिम चंपारण जिले के बगहा अनुमंडल में बसे 22 गांव बरसात में चार महीने टापू में तब्दील हो जाते हैं। इनका प्रखंड मुख्यालय से संपर्क टूट जाता है। करीब 25 हजार की आबादी तबाही झेलती है। संकट में पड़ जाती सर्पदंश व गंभीर रूप से बीमार लोगों की जान।
पश्चिम चंपारण [गौरव वर्मा]। बगहा अनुमंडल के रामनगर उत्तरांचल में बसे 22 गांव बरसात में चार महीने टापू में तब्दील हो जाते हैं। इनका प्रखंड मुख्यालय से संपर्क टूट जाता है। करीब 25 हजार की आबादी तबाही झेलती है। पहले से जमा राशन-पानी समेत अन्य जरूरी सामान ही सहारा बनते हैं। ये लोग वर्षों से यह तबाही झेलते आ रहे। बगहा-दो प्रखंड के हरनाटांड़ व रामनगर से निकले दो प्रमुख रास्ते इन गांवों को अनुमंडल और प्रखंड मुख्यालय से जोड़ते हैं। दोनों ही रास्ते जून से सितंबर तक पहाड़ी नदियों के पानी में डूब जाते हैं। हरनाटांड़ से निकला मुख्य मार्ग वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से होकर गुजरता है। इसमें एक ही बरसाती नदी 17 बार रास्ते को क्रॉस करती है। वहीं रामनगर से निकले मुख्य मार्ग पर कापन, हरहा, भलुई, मसान समेत अन्य पहाड़ी नदियां अड़ंगा डालती हैं।
पीने लायक नहीं रह जाता चापाकल का पानी
दोन के औरहिया, चंपापुर, सेमरहनी, शेरवा, नरकटिया, गोबरहिया, भुलिहरवा टोला, गर्दी, लक्ष्मीनिया टोला, ढायर, रघिया आदि सभी गांवों की बरसात में एक ही तस्वीर होती है। चारों तरफ पानी, बीच में फंसे लोग। चंपापुर के दीपक उरांव, संजय उरांव, कहते हैं कि बाढ़ में यहां का पानी पीने लायक नहीं रह जाता। आवागमन ठप रहता है। थोड़ा-बहुत प्रशासनिक सहयोग मिल जाता है। बनकटवा की मुखिया अरुणमाया देवी कहती हैं कि पंचायतों में छोटी-छोटी योजनाएं होती हैं। इनसे पुल का निर्माण संभव नहीं है।
दोन इलाके में एक दर्जन लोग संक्रमित
राम विनय उरांव बताते हैं कि इन इलाकों के गांवों में कोराना संक्रमण फैला है। एक दर्जन से अधिक लोग होम आइसोलेशन में हैं। बाढ़ के दिनों में अगर संक्रमण फैला और किसी की तबीयत गंभीर हुई तो जान बचाना भी मुश्किल हो जाएगा। लोग आॢथक क्षमता के अनुसार चार महीनों के लिए राशन और अन्य जरूरी सामान तो जमा कर रहे हैं, लेकिन तबीयत खराब होने या सर्पदंश जैसे मामलों में मुश्किल हो जाती है। ग्रामीण चिकित्सकों से जान बची तो ठीक नहीं तो...।
इस संबंध में रामनगर की विधायक भागीरथी देवी ने कहा कि पहाड़ी नदियां समय-समय पर अपना रास्ता बदल देती हैं, इसलिए पुल से पहले बांध का निर्माण जरूरी है। सरकार के समक्ष कई बार समस्या को रखा गया है, पहल का इंतजार है।