हल्की बूंदाबांदी से बढ़ी ठंड, शीतलहर नहीं चलने के टूटे सारे रिकॉर्ड
मौसम का ऐसा तेवर गेहूं और आलू की फसल के लिए घातक। कुहासा ही इन फसलों का करता है पोषण। मौसम के ऐसे बदलाव से वैज्ञानिक भी चिंतित।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। जनवरी 2019 की 23 तारीख तक कोल्ड चेन नहीं बनने, कुहासे का न होना और शीत लहर नहीं चलने के पहले के सारे रिकॉर्ड टूट गए। मौसम विभाग के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है। बुधवार 23 जनवरी को ही मौसम फरवरी जैसा था। तापमान भी वैसा ही। सबसे गंभीर बात उत्तर बिहार में कुहासे का नहीं गिरना है। इससे रबी फसलों को भारी नुकसान की आशंका है।
ऐसा मौसम विभाग, पूसा का मानना है। बीते वर्षों की तरफ नजर डालें तो दिन में अधिकतम तापमान में कमी की स्थिति पहले कभी नहीं रही। वर्ष 1998, 2003, 2004, 2008, 2011 व 2018 में दिन में सर्वाधिक कोल्ड कंडीशन रहा और शीतलहर चली थी। इसके अलावा कुहासा भी गिरा। लेकिन, इस साल तो किसान कुहासा गिरने की प्रतीक्षा ही करते रह गए।
ये है फरवरी जैसे तापमान की स्थिति
बुधवार को अधिकतम तापमान 18.5 है जो सामान्य से लगभग चार डिग्री कम है। न्यूनतम तापमान 13.5 है जो सामान्य तापमान से 5.5 अधिक है। ऐसा तापमान फरवरी में होता है। मंगलवार को अधिकतम तापमान 25 व न्यूनतम 8 डिग्री था। इस तरह कल की तुलना में अधिकतम में 6.5 कम और न्यूनतम में 5.5 डिग्री अधिक है। मौसम वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल सत्तार ने कहा कि इतिहास में पहली बार जनवरी के ठंड में ऐसा परिवर्तन देखा है। यह स्थिति रबी फसल के लिए घातक है।