शहर की आधी आबादी तक नहीं पहुंच रहा पानी
32 वर्ग किमी में फैले और पांच लाख की आबादी वाले इस शहर की प्यास बुझाने में नगर निगम विफल रहा है।
मुजफ्फरपुर। 32 वर्ग किमी में फैले और पांच लाख की आबादी वाले इस शहर की प्यास बुझाने में नगर निगम विफल रहा है। निगम आधी आबादी तक पेयजल की सुविधा नहीं पहुंचा पा रहा है जबकि वह उनसे टैक्स ले रहा है। आबादी के हिसाब से शहरवासियों के लिए प्रतिदिन 1 करोड़ 57 लाख 50 हजार गैलन पानी की जरूरत है लेकिन, मात्र 78 लाख गैलन पानी की ही आपूर्ति हो रही है। इससे साफ है कि शहरवासियों को 79.5 गैलन कम पानी मिल पाता है और जिससे आधे से अधिक आबादी को पेयजल की सुविधा से वंचित होना पड़ता और अन्य विकल्पों पर निर्भर होना पड़ता है।
कठघरे में निगम का वाटर मैनेजमेंट : वर्तमान में शहर की आबादी पांच लाख के करीब है। उनके घरों तक पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी निगम की है। पर निगम की जलापूर्ति व्यवस्था बीमार है। जलापूर्ति व्यवस्था के नाम पर निगम के पास 25 पंपिंग स्टेशन, 11 जलमीनार, 203 किमी लंबी भूमिगत पाइपलाइन, 454 स्टैंड पोस्ट, 311 सामान्य चापाकल एवं 98 इंडिया मार्का-3 चापाकल हैं। लेकिन, हालात यह है कि अधिकांश पंपिंग स्टेशन फेल हो चुके हैं। जलमीनार सिर्फ देखने के लिए हैं। अधिकांश स्टैंड पोस्ट भूमिगत हो चुके हैं। चापाकल भगवान भरोसे बचे हुए हैं। आपूर्ति व्यवस्था पूरी तरह से बिजली पर निर्भर है, बिजली रही तो पानी मिलेगा, अन्यथा नहीं। शहर के चार पंपों पर जेनरेटर की सुविधा है, लेकिन सभी खराब हैं।
बिजली पर निर्भर है आपूर्ति व्यवस्था
निगम की आपूर्ति व्यवस्था पूरी तरह से बिजली पर निर्भर है, बिजली रही तो पानी मिलेगा, अन्यथा नहीं। शहर के चार पंपों पर जेनरेटर की सुविधा है लेकिन सभी खराब हैं। जेनरेटरों की व्यवस्था को लेकर बार्ड की बैठकों में आवाज उठी लेकिन आगे इस पर ध्यान नहीं दिया गया।
निगम के जलमीनार हाथी दांत
जलमीनार के माध्यम से लोगों के घरों तक पीने का पानी पहुंचने के लिए शहर में नया एवं पुराना ग्यारह जलमीनार स्थापित है। निगम प्रशासन उनमें से पांच के बंद होने एवं छह के कार्यरत होने का दावा कर रहा है। लेकिन, हकीकत यह कि निगम का दावा खोखला है। ग्यारह में से एक भी पंप कार्यरत नहीं। शहर के सभी जलमीनार हाथी दांत बने हुए हैं।