Move to Jagran APP

'यह निगम का चापाकल है, देखकर ही बुझाइए प्यास'

'भाई साहब, यह नगर निगम का चापाकल है, पानी नहीं देता देखकर ही प्यास बुझाइए'।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Mar 2017 01:44 AM (IST)Updated: Wed, 22 Mar 2017 01:44 AM (IST)
'यह निगम का चापाकल है, देखकर ही बुझाइए प्यास'
'यह निगम का चापाकल है, देखकर ही बुझाइए प्यास'

मुजफ्फरपुर। 'भाई साहब, यह नगर निगम का चापाकल है, पानी नहीं देता देखकर ही प्यास बुझाइए'। निगम प्रांगण में लगे चापाकल के पास जैसे ही एक व्यक्ति पानी लेने पहुंचा, वहां से निराश होकर लौट रहे दूसरे व्यक्ति ने यह टिप्पणी की।

loksabha election banner

जी, हां! यह सिर्फ निगम कार्यालय में लगे चापाकल की बात नहीं, बल्कि निगम द्वारा शहरी क्षेत्र में लगाए गए अधिकतर चापाकलों की है, जिससे पानी नहीं निकलता है।

सामाजिक कार्यकर्ता अधिवक्ता धीरज कुमार कहते हैं कि निगम चापाकल को पानी देने के लिए नहीं, वरन इस मद के पैसे को पानी की तरह बहाने के लिए लगाता है। यह आपकी प्यास नहीं, वरन सिस्टम से जुड़े लोगों की प्यास बुझाने के लिए है।

शहर में सांसद व विधायक कोष से हाल के वर्षो में लगे चापाकलों की यही कहानी है। इनपर दो करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है। अधिकतर खराब चापाकल इंडिया मार्क-3 के हैं। एक-एक पर 35 से 40 हजार रुपये तक खर्च किए गए, लेकिन दो-चार को छोड़ सभी बेकार साबित हुए। मरम्मत के लिए निगम द्वारा निजी एजेंसी बहाल की गई थी। एजेंसी ने सबको ठीक कर देने का दावा करते हुए बड़ी राशि अग्रिम के रूप में प्राप्त की, लेकिन खराब चापाकल उनके दावों की कलई खोल रहे हैं।

निगम नए चापाकल लगाने की बात तो करता है, लेकिन खराब पड़े चापाकलों की मरम्मत को तैयार नहीं। कारण, निगम की जलकार्य शाखा के पास खराब पड़े चापाकलों की मरम्मत के लिए मिस्त्री की कमी है। एक या दो मिस्त्री हैं भी, तो वे पानी कनेक्शन देने के काम में ही लगे रहते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.