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वीटीआर को जैव विविधता पुरस्कार से नवाजा गया, पश्चिम चंपारण में अधिकारी उत्साहित

विश्व गैंडा दिवस पर मिला सम्मान जैव विविधता बनी वीटीआर की पहचान टाइगर रिजर्व में पहले जंगली जानवरों कम थे लेकिन अधिकारियों की मेहनत व जन जागरूकता से जंगल का दायरा भी बढ़ रहा और वन्य जीवों की संख्या भी।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 05:51 PM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 05:52 PM (IST)
वीटीआर को जैव विविधता पुरस्कार से नवाजा गया, पश्चिम चंपारण में अधिकारी उत्साहित
वीटीआर को पुरस्‍कार म‍िलने के बाद कर्मचार‍ियों और अध‍िकार‍ियों खुशी की लहर।

पश्चिम चंपारण, जासं। बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व की पहचान न सिर्फ टाइगर बल्कि यहां की जैव विविधता भी है। जानवरों की बढ़ रहा संख्या और वन के दायरे में बढ़ोतरी को लेकर केंद्र सरकार ने विश्व गैंडा दिवस के उपलक्ष्य में वीटीआर को जैव विविधता पुरस्कार से नवाजा है। जिससे वीटीआर प्रशासन गौरवान्वित है। बताया जाता है कि टाइगर रिजर्व में पहले जंगली जानवरों की संख्या कम थी। लेकिन, अधिकारियों की मेहनत व जन जागरूकता से न सिर्फ जंगल का दायरा बढ़ रहा बल्कि वन्य जीवों की संख्या भी बढ़ी है। इस साल हुई बाघों की गणना में वीटीआर देश में पांचवें स्थान पर पहुंच गया। इसके साथ ही पड़ोसी मुल्क नेपाल से पलायन कर भारतीय क्षेत्र में शरण लिए गैंडों की सुरक्षा में भी वीटीआर प्रशासन अहम भूमिका निभाइ है। वीटीआर से दर्जनों गैंडों का रेस्क्यू कर उन्हें नेपाल के वन अधिकारियों को सौंपा जा चुका है। जबकि कई गैंडे अभी भी वीटीआर में वास कर रहे। जिनकी देखरेख वन कर्मी करते हैं। वीटीआर में बाघों के साथ अन्य वन्यजीवों की संख्या बढ़ने को काफी सुखद माना जा रहा है। जिसके बाद केंद्र सरकार ने जैव विविधता पुरस्कार से नवाजा है।

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गंडक नदी में नेपाल से बहकर आया गैंडे का शव

वाल्मीकिनगर। वीटीआर के सीमावर्ती चितवन नेशनल पार्क (नेपाल) से बाढ़ के पानी में एक शावक गैंडा का शव गंडक नदी में बहकर बुधवार सुबह वाल्मीकिनगर आ गया। इस बाबत वीटीआर की सहायक वन संरक्षक अमिता राज ने बताया कि प्रथम ²ष्ट््या गैंडा शावक की मौत पानी में डूबने से हुई प्रतीत हो रही है। मृत गैंडा शावक के अंग के नमूने को जांच हेतु सुरक्षित कर भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली भेजा जाएगा। बुधवार को गंडक नदी में नदी में गैंडा का शव देखा गया। शव को नदी से निकालकर पोस्टमार्टम कराया गया। पोस्टमार्टम टीम में पशुचिकित्सक मनोज कुमार टोनी मौजूद रहे। गैंडे की उम्र दो वर्ष है। बुधवार की सुबह वन कर्मियों को गंडक नदी में गैंडे के शव उतराने की सूचना मिली थी। सूचना पर सहायक वन संरक्षक मदनपुर रेंज अमिता राज नदी किनारे वनकर्मियों के साथ मौके पर पहुंची। गंडक नदी से गैंडे के शव को बाहर निकालने के लिए वन विभाग को काफी मशक्कत करनी पड़ी। वहीं, वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नेपाल में भारी बारिश होने से गंडक नदी में बाढ़ जैसे हालात हैं। संभावना है कि यह गैंडा उसी बाढ़ के पानी में बहकर आया है। गैंडे के सभी अंग सुरक्षित हैं। पोस्टमार्टम के पश्चात शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।


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