सृजन के देवता भगवान विश्वकर्मा
देवशिल्पी बाबा विश्वकर्मा की पूजा में अब केवल एक सप्ताह शेष रह गया है।
मुजफ्फरपुर। देवशिल्पी बाबा विश्वकर्मा की पूजा में अब केवल एक सप्ताह शेष रह गया है। जगह-जगह इसकी तैयारी चल रही है। चांदनी चौक, जेल चौक व नया टोला स्थित विश्वकर्मा मंदिर सहित विभिन्न प्रतिष्ठानों में लोग जोर-शोर से पूजा की तैयारी में लगे हैं।
ज्योतिषाचार्य पं.प्रभात मिश्र कहते हैं कि भगवान विश्वकर्मा निर्माण एवं सृजन के देवता कहे जाते हैं। माना जाता है कि उन्होंने ही इंद्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक, लंका आदि का निर्माण किया था। 17 सितंबर को सभी औद्योगिक कंपनियों व दुकानों में विशेष रूप से सभी औजार व मशीनों की पूजा की जाती है।
वास्तु पुत्र हैं विश्वकर्मा
एक कथा के अनुसार सृष्टि रचना के दौरान भगवान विष्णु के नाभि कमल से ब्रह्मा जी प्रगट हुए। ब्रह्मा के पुत्र धर्म का विवाह 'वस्तु' से हुआ। धर्म के सात पुत्र हुए। सातवें पुत्र का नाम 'वास्तु' रखा गया, जो शिल्पशास्त्र की कला में निपुण थे। वास्तु के विवाह के बाद उनका एक पुत्र हुआ, जिसका नाम विश्वकर्मा रखा गया। वे वास्तुकला के अद्वितीय गुरु बने।
मान्यता है कि विश्वकर्मा पूजा करने वाले व्यक्ति के घर धन-धान्य तथा सुख-समृद्धि की कभी कोई कमी नहीं रहती है। पूजा की महिमा से व्यक्ति के व्यापार में वृद्धि व सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।