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पश्‍चिम चंपारण में सीएफ व डीएफओ को ग्रामीणों ने बनाया बंधक, बोले-अब तक क्‍यों नहीं पकड़ा गया बाघ

West Champaran बरवा कला गांव से ढाई घंटे बाद छोड़ा। घटना के दिन डीएफओ के नहीं पहुंचने से आक्रोशित थे ग्रामीण लगाया गंभीर आरोप। चार दिन बाद भी बाघ नहीं पकड़े जाने को लेकर ग्रामीणों में है नाराजगी। थारू व आदिवासी महासंघ के नेताओं ने आक्रोशित लोगों को किया शांत।

By JagranEdited By: Dharmendra Kumar SinghPublished: Sat, 24 Sep 2022 06:09 PM (IST)Updated: Sat, 24 Sep 2022 06:09 PM (IST)
पश्‍चिम चंपारण में सीएफ और डीएफओ से सवाल जवाब करते ग्रामीण। जागरण

पश्‍चिम चंपारण  (हरनाटांड़),  जासं। चार दिनों बाद भी नरभक्षी बाघ को नहीं पकड़े जाने को लेकर ग्रामीणों के बीच आक्रोश पनपता जा रहा है। शनिवार को वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक (सीएफ) डॉ. नेशामणि के. और वन प्रमंडल सह उपनिदेशक (डीएफओ) डॉ. नीरज नारायण हरनाटांड़ वन क्षेत्र के बरवाकला गांव में ग्रामीणों से मिलने पहुंचे। जहां ग्रामीणों ने अपने कई शर्तों को रख कर घंटों तक सीएफ और डीएफओ को बंधक बनाए रखा। बताते चलें कि ग्रामीणों की मांग थी कि जब तक बाघ पकड़ा नहीं जाता तबतक वन विभाग के वरीय अधिकारी यहां से नहीं जाएंगे।

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क्योंकि अधिकारी यहां आने के बाद केवल आश्वासन देते हैं और चले जाने के बाद समस्या ढाक के तीन पात रह जाती है। मौके पर मौजूद सैकड़ों ग्रामीणों ने सीएफ व डीएफओ को अपने जगह पर बैठे रहने को मजबूर कर दिया। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि डीएफओ घटना के दिन गोनौली वन क्षेत्र में आकर बैठे हुए थे। लेकिन उन्होंने घटनास्थल पर आना मुनासिब नहीं समझा और केवल फोन पर ही मामले की जानकारी लेते रहे। केवल लाठी डंडे के सहारे वन कर्मियों के भरोसे बाघ से हमारी सुरक्षा को छोड़ दिया। यहां आए दिन बाघ के नजर आने पर ट्रेंक्यूलाइजर गन होने के बाद भी उसे नहीं पकड़ा जा सका। जबकि इस बीच शुक्रवार को भी एक चरवाहे पर बाघ ने हमला किया था।

अगर आज भी बाघ नहीं पकड़ा गया तो शुक्रवार की तरह और पिछले कई बार की तरह लगातार बाघ हम इंसानों को अपना शिकार बनाते रहेगा। यहां बता दें कि शुक्रवार की शाम झिकरी नदी के सरेह में मवेशियों को चरा रहे एक चरवाहे पर बाघ ने हमला किया था। हालांकि वन कर्मियों की सतर्कता से चरवाहे की जान बच गई। लेकिन ग्रामीणों में दहशत का माहौल व्याप्त हो गया है। ग्रामीण लगातार इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनके खेतों में फसल बर्बाद हो रहे हैं, लेकिन वे खेतों को की ओर जा नहीं सकते हैं। कारण कि बाघ लगातार अपना ठिकाना गांव से सटे सरेह में बनाए हुए हैं। इसी बात को लेकर करीब दो घंटे से अधिक समय तक ग्रामीणों ने डीएफओ व सीएफ को बैठाए रखा कि आश्वासन नहीं काम कर के दिखाइये। हालांकि बाद में स्थानीय थानाध्यक्ष अभय कुमार के साथ थारू समाज व आदिवासी समाज के सदस्यों के समझाने के बाद मामला शांत हुआ।

ग्रामीणों का सहयोग मिले तो शीघ्र बाघ को पकड़ भेज देंगे चिड़ियाघर 

शुक्रवार की शाम ग्रामीणों और वनकर्मियों में हुई झड़प को लेकर वनकर्मियों में दहशत का माहौल व्याप्त था। वनकर्मी बाघ को पकड़ने में पूरी तत्परता दिखाने में कतरा रहे थे। इधर ग्रामीणों में भी बाघ नहीं पकड़े जाने से वन विभाग के प्रति रोष पनप रहा था। जिसको लेकर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के सीएफ और डीएफओ ग्रामीणों से मिलने शनिवार को बरवा कला गांव पहुंचे।

जहां थारू महासंघ के अध्यक्ष दीप नारायण प्रसाद, उरांव महासंघ के अध्यक्ष द्रव्यान उरांव, राजेश उरांव, जगरनाथ उरांव, हेमंत कुमार, स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि संजय ओजहिया, महेश्वर काजी व रविंद्र महतो के साथ दर्जनों थारू व उरांव समाज के नेता व सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे। जहां उन्होंने अपनी समस्याओं को वन विभाग के अधिकारियों के समक्ष रखा और बाघ से तत्काल निजात दिलाने की बात कही। जिसपर सीएफ डॉ. नेशामणि के. ने ग्रामीणों को आश्वस्त कराया कि बाघ को पकड़ने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। प्रशिक्षित वन कर्मियों की टीम चिकित्सकों व बायोलॉजिस्ट के साथ 24 घंटे बाघ को पकड़ने में जुटी हुई है। ग्रामीणों का सहयोग मिले तो शीघ्र ही बाघ को पकड़ लिया जाएगा और उसे पटना के चिड़ियाघर में भेज दिया जाएगा। तब जाकर ग्रामीण शांत हुए।


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