विद्यापति पर्व समारोह को मिलेगा राजकीय दर्जा, जानें प्रशासन की तैयारियों के बारे में
बिस्फी प्रखंड क्षेत्र स्थित विद्यापति जन्म डीह पर राजकीय पर्व के रुप में समारोह आयोजित करने की दिशा में बढ़ा कदम। जन्मस्थली को पर्यटन क्षेत्र के रुप में विकसित करने की तैयारी।
मधुबनी, जेएनएन। बिस्फी प्रखंड क्षेत्र स्थित कवि कोकिल विद्यापति की जन्मस्थली के दिन बहुरने वाले हैं। पर्यटन विभाग ने इस जगह को पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने पर मुहर लगा चुकी है। पर्यटन विभाग के विशेष सचिव प्रदीप कुमार ने बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक को उक्त स्थल को पर्यटन के दृष्टिकोण से फिजिबिलिटी का आकलन करते हुए पर्यटकीय विकास हेतु डीपीआर का निर्माण कर उपलब्ध कराने के लिए अनुरोध भी कर चुके हैं। डीपीआर तैयार करने के लिए विशेषज्ञों की टीम विद्यापति जन्मडीह का स्थलीय अध्ययन भी कर चुके हैं। पर्यटन क्षेत्र के रुप में विकसित करने के कार्य का आकलन किया जा चुका है। इस डीह को पर्यटन क्षेत्र के रुप में विकसित करने के लिए दो से पांच करोड़ रुपये तक खर्च करने की योजना है।
डीएम ने पुरातत्व निदेशालय को भेजा अनुशंसा पत्र
विद्यापति पर्व समारोह को राजकीय दर्जा दिलाने की दिशा में जिला प्रशासन ने कदम आगे बढ़ाया है। जिला पदाधिकारी डॉ. निलेश रामचंद्र देवरे ने विद्यापति पर्व समारोह को राजकीय पर्व समारोह के रुप में मनाने की स्वीकृति की दिशा में आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के पुरातत्व निदेशालय के निदेशक डॉ. अतुल कुमार वर्मा को अनुशंसा पत्र भेज दिया है।
विद्यापति डीह की महत्ता
महाकवि कोकिल विद्यापति की जन्मस्थली एक ऐतिहासिक स्थल है। मान्यता है कि महाकवि विद्यापति के भक्ति भाव से प्रसन्न होकर भगवान शिव उगना के नाम से उनके यहां सेवक के रुप में रहे थे। मिथिलांचल की संस्कृति, सभ्यता व सामाजिक क्षेत्र में महाकवि विद्यापति रचे-बसे हैं। उनकी रचना, गीत, कविता से उनकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक है।
भावनात्मक जुड़ाव
मिथिलांचल के लोगों को उनसे भावनात्मक जुड़ाव बना हुआ है। विद्यापति डीह पर देश-विदेश के लोगों के लिए अध्ययन केंद्र भी है। देश-विदेश के लोगों का यहां आना-जाना लगा रहता है। साहित्य एवं शोध के क्षेत्र से जुड़े लोग भी यहां आते-जाते रहते हैं। पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होने पर यहां सालों भर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहेगा। विद्यापति पर्व समारोह को राजकीय पर्व के रुप में मनाया जाने लगे तो यहां की भव्यता में चार चांद लग जाएगा।