BRABU के प्रभारी कुलपति पर भड़के छात्र, मांगा इस्तीफा, जमकर नारेबाजी Muzaffarpur News
छात्रों ने पूछा-नहीं संभल रहा विश्वविद्यालय तो इस्तीफा क्यों नहीं दे देते। 29 मई को वीसी की हुई पोस्टिंग पहली बार घिर गए छात्रों से।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। परीक्षा व रिजल्ट में विलंब तथा तमाम तरह की गड़बडिय़ों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए छात्रों के भारी हुजूम ने बुधवार को प्रभारी कुलपति प्रो. राजेश सिंह को विश्वविद्यालय कैंपस में ही घेर लिया। तब वे एक कार्यक्रम में भाग लेने एकेडमिक स्टाफ कॉलेज में पहुंचे हुए थे। विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष बसंत कुमार सिद्धू की अगुवाई में छात्रों ने उनको घेरकर तमाम मोर्चे पर विफलता का आरोप लगाया।
छात्रों ने यहां तक कह दिया कि विश्वविद्यालय नहीं संभल रहा तो इस्तीफा क्यों नहीं दे देते? छात्र कुलपति गो बैक जैसे नारे लगाते रहे। तब जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह भी मौजूद थे और यहां के कुलपति के साथ छात्रों का यह रवैया देख दंग रह गए। इस बात पर छात्रों ने उनको समझाया और यहां के हालात से बिंदुवार अवगत कराया।
प्रो. हरिकेश आक्रोशित छात्रों को अनुशासन व शिष्टाचार की नसीहत देते रहे। रजिस्ट्रार व सीसीडीसी भी मौजूद थे मगर वे कुछ नहीं बोल पाए। छात्रों में छात्र जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष उत्तम पांडेय, मेघू सिंह, रजनीश सिंह, मोनू ठाकुर, चंदन कुमार, विपिन कुमार, हनी सिंह, आशीष कुमार सिंह, राहुल कुमार, ठाकुर सुशील सिंह सोलंकी, आकाश कुमार समेत बड़ी संख्या में छात्र थे।
छात्रों से वार्ता को तैयार हुए कुलपति
प्रभारी कुलपति ने छात्रों की तमाम बातें सुनीं। उनसे वार्ता के लिए गुरुवार 11 बजे का समय तय कर दिया। इससे पहले कुछ बातें मानीं तो कुछ इन्कार भी कर गए। पीएचडी में गड़बड़ी की शिकायत मानने से पहले तो इन्कार किया फिर जांच की हामी भरनी पड़ी। पीएचडी एडमिशन टेस्ट में धांधली का आरोप लगाकर उसकी जांच व दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। छात्र नेता पुनपर्रीक्षा चाहते हैं। पैट के अलावा विभिन्न परीक्षाओं व रिजल्ट जैसे अतिथि शिक्षकों की बहाली, स्नातक व स्नातकोत्तर में नामांकन, सर्टिफिकेट व डिग्री वितरण में विलंब तथा गड़बड़ी को लेकर सवालों की बौछार कर दी।
निर्णय क्षमता पर छात्रों ने उठाया सवाल
अध्यक्ष बसंत ने कहा कि शिक्षक-कर्मचारी का वैल्यू नहीं करते। छात्रों से मिलना उन्हें गंवारा नहीं। छात्र नेताओं को भी दरकिनार करते हैं। ऐसे कैसे चलेगा, किसी से न बात करेंगे न उसकी समस्या सुनेंगे तो कोई कहां जाएगा। 29 मई, 2019 को अपनी पोस्टिंग के बाद से कभी छात्र नेताओं से नहीं मिल पाए थे। एकेडमिक स्टाफ कॉलेज में जैसे ही उनके पहुंचने की खबर मिली छात्रों ने उन्हें घेर लिया। उनकी निर्णय क्षमता कमजोर है। अपने तीन महीने के कार्यकाल में जो भी फैसले उन्होंने लिए उसमें फेल कर गए। चाहे वह हॉस्टल खाली करवाने का मामला हो या पीएचडी एडमिशन टेस्ट का चाहे पीजी एडमिशन का मामला हो या फिर स्नातक पार्ट वन में एडमिशन का।
राजभवन और कोर्ट तक चलेगी लड़ाई
छात्रों ने कहा कि यह लड़ाई विश्वविद्यालय से लेकर राजभवन और कोर्ट तक लड़ी जाएगी। हम सब विश्वविद्यालय को यूं बर्बाद होते नहीं देख सकते। विश्वविद्यालय की तानाशाही का जवाब देने के लिए शिक्षक व कर्मचारी संघों से समर्थन का आग्रह किया। शहर के गणमान्य व बुद्धिजीवियों से भी आगाह किया कि राजभवन और सरकार को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय की लचर स्थिति से अवगत कराइए। ताकि, यहां के लाखों छात्रों का भविष्य गर्त में जाने से बच सके।