फाइलों में 'तैर' रही डेढ़ अरब की जलनिकासी योजना, जलजमाव बड़ी बाधा
दो साल में भी पूरी नहीं हुई कागजी प्रक्रिया, बुडको को मिला है योजना के कार्यान्वयन का जिम्मा, स्मार्ट सिटी की राह में जलजमाव बड़ी समस्या।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। स्मार्ट सिटी की राह में जलजमाव बड़ी बाधा है। शहरवासियों के लिए सबसे कष्टकारी समस्या भी। इससे मुक्ति दिलाने की जगह लाखों-करोड़ों की योजनाओं का सब्जबाग दिखा उन्हें फाइलों में दबा दिया गया। अब इसे ही देख लें, नासूर बनी समस्या से निपटने को डेढ़ अरब का प्रोजेक्ट है।
मूर्त रूप देने की जिम्मेदारी बुडको के पास है। लेकिन, वस्तुस्थिति ये है कि योजना दो साल से फाइलों में तैर रही। इसे जमीन कब मिलेगी, न कोई पूछनेवाला ना ही कोई बतानेवाला। अभी जो हालात है, उससे तो तय है कि शहरवासियों को जलजमाव की 'सालाना' पीड़ा झेलनी ही पड़ेगी।
सिर्फ किया जाता वादा, धरातल पर नहीं उतरती योजना
शहर को जलजमाव की पीड़ा से मुक्ति दिलाने को वादे तो कई बार हुए, पर हकीकत कम ही बने। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल भी काम नहीं आई। वर्ष 2011 में सेवा यात्रा के दौरान उन्होंने स्थानीय विधायक और उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर डीपीआर बनाने का निर्देश दिया था। लेकिन, वह आदेश-निर्देश से आगे नहीं बढ़ पाया।
इससे पहले बनी थी 99 करोड़ की योजना
पांच साल पहले जलजमाव से निपटने के लिए 99 करोड़ की योजना बनी थी। बिहार शहरी आधारभूत संरचना निगम (बुडको) द्वारा चयनित हैदराबाद की एजेंसी दाराशॉ एंड कंपनी प्रालि ने शहर के ड्रेनेज सिस्टम का अध्ययन कर डीपीआर तैयार की। लेकिन, वह बीच रास्ते में भटक गई।
सवालों के घेरे में कार्यान्वयन की गति
पूर्ववर्ती योजनाओं की विफलता के बाद एक बार फिर 121 करोड़ की योजना बनी। नगर निगम बोर्ड की स्वीकृति के बाद राज्य सरकार को डिटेल भेजी गई। वहां से केंद्र सरकार के पास भेजी गई। कुछ संशोधन के बाद यह योजना 158.42 करोड़ की हो गई। सरकार से स्वीकृति से फिर बुडको को ही कार्यान्वयन का जिम्मा मिला।
लेकिन, दो साल से यह फाइलों में घूम रही। इसके कार्यान्वयन को लेकर फिर कई सवाल होने लगे हैं। बुडको के कार्यपालक अभियंता सुरेश कुमार सिन्हा ने कहा कि योजना बहुत जल्द जमीन पर उतरेगी। कार्यान्वयन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। शहरवासियों को अब ज्यादा दिन इंतजार नहीं करना पड़ेगा।