अतिक्रमण से ऐतिहासिक रजोखर पोखर के अस्तित्व पर संकट Darbhanga News
करीब 25 बीघा में पोखर का रकबा! पांच बीघा से अधिक हो चुका अतिक्रमित। कई बार अतिक्रममुक्त करने की लग चुकी गुहार। अब तक नहीं हुई कोई प्रशासनिक कार्रवाई।
दरभंगा, जेएनएन। एक तरफ पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ ऐतिहासिक जलस्रोतों पर अतिक्रमणकारी टेढ़ी नजर बनाए हुए हैं। जिले के तारडीह अंतर्गत नारायणपुर का ऐतिहासिक रजोखर पोखर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। कभी 25 बीघे में फैला यह पोखर आज अतिक्रमण का शिकार हो व्यवस्था की मार से कराह रहा है। नारायणपुर के जमीन दाताओं ने लगभग 47 बीघा जमीन प्लस टू राजकीय पटेल उच्च विद्यालय नारायणपुर को दान स्वरूप दिया था, जिसमें से पोखर का रकबा करीब 25 बीघा है।
इसमें से करीब पांच बीघा से अधिक का अतिक्रमण कर लिया गया है। अतिक्रमण का दायरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। एक समय था जब इस पोखरे में विदेशी प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट से पूरा इलाका गुंजायमान रहता था। आज यह पोखर सूखने के कगार पर पहुंच चुका है। पोखर की दुर्दशा के कारण अब मवेशियों को भी पानी मिलना मुश्किल होता जा रहा है। ग्रामीणों के साथ-साथ विद्यालय की ओर से भी इस ऐतिहासिक पोखर को अतिक्रमण से मुक्त कराने की कई बार गुहार लग चुकी है, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
इससे अतिक्रमणकारियों का मनोबल ऊंचा है, जबकि पोखर के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। पोखर की बंदोबस्ती लेने वाली देवकला देवी कहती है इस भीषण गर्मी में मछलियों के बच्चे को बचाना बहुत बड़ी चुनौती भरा कार्य है। पोखरे में पानी की कमी हो जाने से लगातार निजी पंपसेट से पानी डालने के बावजूद मछलियों के बच्चे मर रहे हैं। पोखर में पानी की कमी से मवेशियों के सामने जल संकट उत्पन्न हो गया है। अतिक्रमण के कारण अक्सर गांव में तनाव की स्थिति भी बन जाती है।