बच्चों को डायरिया से बचाने में वैक्सीन असरदार, गंभीर दस्त से सुरक्षा प्रदान करेगा रोटा वायरस
रोटा वायरस वैक्सीन तीन जुलाई से होगा नियमित प्रतिरक्षण का हिस्सा। जिला एवं प्रखंड स्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों को दिए जाएंगे प्रशिक्षण।
दरभंगा, जेएनएन। रोटा वायरस वैक्सीन को 3 जुलाई से नियमित प्रतिरक्षण में शामिल किया जाएगा। यह वैक्सीन रोटा वायरस के कारण होने वाले गंभीर दस्त से सुरक्षा प्रदान करेगी। इसको लेकर कार्यपालक निदेशक राज्य स्वास्थ्य समिति मनोज कुमार ने जिलाधिकारी एवं सिविल सर्जन को पत्र के माध्यम से निर्देशित किया है। कहा है कि 3 जुलाई से नियमित टीकाकरण के अंतर्गत रोटा वायरस वैक्सीन को शामिल किया जाना प्रस्तावित है।
इसके लिए प्रत्येक जिले से मास्टर ट्रेनर को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इससे बच्चों में रोटा वायरस की वजह से होने वाली दस्त में कमी लाई जा सकेगी। साथ ही इसके कुशल कार्यान्वयन के लिए जिला एवं प्रखंड स्तर पर आयोजित होने वाले विभिन्न गतिविधियों के विषय में भी विस्तार से जानकारी दी गई है।जिला स्तर पर बैठक एवं प्रशिक्षण का आयोजन
जिले के प्रत्येक प्रखंड से पांच प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया जाएगा, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के साथ समाज कल्याण विभाग के पदाधिकारियों को शामिल किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग से पीएचसी अधीक्षक, एक मेडिकल ऑफिसर, ब्लॉक हेल्थ मैनेजर, ब्लॉक कम्युनिटी मोबिलाईजर एवं समाज कल्याण विभाग से सीडीपीओ शामिल होंगे। साथ ही इसमें मेडिकल कॉलेज एवं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के भी प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में टास्क फोर्स का आयोजन कर कार्यक्रम एवं प्रशिक्षण की समीक्षा की जाएगी, ताकि संभावित त्रुटियों को दूर कर सुधारात्मक कार्रवाई की जा सके। साथ ही इस नए टीके के विषय में आम-जागरूकता फैलाने पर भी विशेष बल दिया जाएगा।
प्रखंड स्तर पर भी होगा प्रशिक्षण
जिला स्तर पर प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके पदाधिकारियों द्वारा प्रखंड स्तर पर आशा, आंगनवाड़ी एवं टीकाकरण संबंधित कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रखंड स्तरीय प्रशिक्षण की मॉनीटरिंग के लिए अलग से वेबसाइट भी बनाया गया है जिस पर मॉनीटरिंग प्रतिवेदन अपलोड किए जाएंगे।
क्या है रोटा वायरस
रोटा वायरस एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है जो बच्चों में होने वाले 40 प्रतिशत डायरिया के लिए जिम्मे दार है। रोटा वायरस संक्रमण की शुरुआत हल्के दस्त से होती है जो आगे जाकर गंभीर रूप ले सकता है। पर्याप्त इलाज न मिलने के कारण शरीर में पानी व नमक की कमी हो सकती है तथा कुछ मामलों में बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। रोटा वायरस संक्रमण में गंभीर दस्त के साथ-साथ बुखार और उल्टियां भी होती हैं और कभी- कभी पेट में दर्द भी होता है।
दस्त एवं अन्य लक्षण लगभग 3 से 7 दिनों तक रहते हैं। इसकी रोकथाम में रोटा वायरस वैक्सीन काफी प्रभावी होगा। शिशुओं को यह वैक्सीन तीन चरणों में दिया जाएगा। पहला टीका जन्म के 6 सप्ताह पर, दूसरा टीका 10 सप्ताह पर एवं आखिरी टीका 14 सप्ताह पर दिया जाएगा।
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