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Samatipur News: खेतों में रासायनिक खाद व कीटनाशी का उपयोग, मृदा और स्वास्थ्य के ल‍िए घातक

Samatipur News रासायनिक खाद के प्रयोग से खत्म हो रही जमीन की उर्वरा शक्ति रासायनिक खाद का प्रयोग करने का यही सिलसिला लगातार जारी रहा तो पूरी जमीन बंजर हो जाएगी। समस्‍तीपुर जिले में 927 कीटनाशक दुकान हैं।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 04:37 PM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 04:37 PM (IST)
फसलों में अधिक मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग फसल के लिए हानिकारक। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

समस्तीपुर, जासं। फसलों के अधिक उत्पादन के लिए खेतों में अधिक मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग फसल के लिए हानिकारक है। किसान जानकारी के अभाव में ज्यादा उत्पादन के लिए खेतों में अधिक उर्वरक व कीटनाशी दवा डालते हैं। जो फसल व खेतों को नुकसान पहुंचाते हैं। सबसे अधिक यूरिया की खपत खरीफ फसल में होती है। जिले में कुल 927 कीटनाशक दुकान संचालित हो रही है।

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रासायनिक खाद इस्तेमाल करने का यही सिलसिला जारी रहा तो इलाके की पूरी जमीन बंजर हो जाएगी। कृषि विभाग द्वारा किए गए मिट्टी परीक्षण में यह स्पष्ट हुआ है कि यहां की मिट्टी में उर्वरक की मात्रा काफी अधिक है। यदि इस इलाके की उपजाऊ जमीन बंजर हो जाएगी तो विकट परिस्थिति से निपटना मुश्किल ही नहीं असंभव भी हो जाएगा।

धान में दो बार दिया जाता है खाद

किसान अपने खेतों में दो बार खाद का प्रयोग करते हैं। पहला धान की निराई के बाद दूसरा धान में बाली होने के समय। अभी तक लगभग 30 फीसद धान की रोपाई हो सकी है। धान की रोपाई के 25 दिन के बाद इसकी निराई की जाती है। अभी किसानों को आसानी से खाद उपलब्ध हो जा रहा है। लेकिन 15 अगस्त के बाद और सितंबर माह में खाद की मांग अधिक हो जाती है। ऐसे में किसानों को खाद नहीं मिलने लगता है। इस कारण किसानों को अधिक कीमत पर यूरिया खरीदना पड़ता है। हालांकि इस बार सरकार द्वारा तय कीमत पर खाद उपलब्ध कराने के लिए कई ठोस कदम उठाए गए है।

यूरिया का अधिक प्रयोग मृदा पर डालता है विपरीत प्रभाव

जिला कृषि पदाधिकारी विकास कुमार ने बताया कि फसल उत्पादन के लिए कुछ पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इसमें तीन प्रमुख है, यूरिया, फास्फोरस व पोटाश। किसान खेतों में यूरिया, डीएपी और पोटाश का अधिक प्रयोग करते है। यूरिया का अधिक प्रयोग खेतों में मृदा पर विपरीत प्रयोग डालता है। खेतों में फसल अवशेष को जलाने से जीवाश्म कार्बन की कमी हो रही है। इसमें फसल अल्प आयु में ही अधिक वृद्धि हो जाती है। यूरिया का विज्ञानी विधि से संतुलित मात्रा में प्रयोग करने के साथ ही देसी गोबर खाद का भी प्रयोग करना चाहिए। खेतों में फसल अवशेषों को जलाने की बजाय सड़ाकर खेतों में डालना चाहिए। किसानों को जैविक खेती एवं खेती की नई तकनीकों को अपनाने से कम लागत में अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है।


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