खेतोंं को उर्वर बनाए रखने के लिए मिट्टी की जांच कराने के बाद ही करें उर्वरकोंं का प्रयोग, अन्यथा हो सकता यह नुकसान
रासायनिक उर्वरकों की बजाए अधिक से अधिक वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करें। खेतों की मिट्टी की जांच कराए बगैर रासायनिक उर्वरकोंं का उपयोग नहीं करें। यूरिया का अधिक प्रयोग करने से फसलोंं को नुकसान ही होता है। फसल बुआई से पहले खेतों की मिट्टी की जांच अवश्य करा लें।
मधुबनी, जेएनएन। बिना मिट्टी की जांच कराए ही उर्वरकों का प्रयोग करने से खेतों की उर्वरा शक्ति पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। इसलिए जरूरी है कि पहले खेतों की मिट्टी की जांच करा लें। इससे पता चल सकेगा कि आपके खेतों की मिट्टी में किस तत्व की कमी है। इसके बाद ही वांछित उर्वरकों का प्रयोग करें। ऐसा नहीं करने से खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ने की बजाए घट सकती है। खेतों की मिट्टी की जांच के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना चलाई गई है। इसके लिए क्षेत्रों का चयन भी किया गया है। संबंधित क्षेत्र के किसान इसका लाभ उठा सकते हैं।
रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2020- 2021 में जिला के प्रत्येक प्रखंड के चयनित 13 गांव में मिट्टी नमूना लेने का कार्य जोरों
पर चल रहा है। इस क्रम में खजौली प्रखंड के खजौली गांव के किसानों को मिट्टी की जांच के लिए नमूना लेने की विधि की जानकारी दी गई। इस दौरान स्वयं किसानों ने खेतों में जाकर मिट्टी जांच के लिए मिट्टी का नमूना लिया। मिट्टी जांच कराने के लाभ के बारे में किसानों को प्रशिक्षण भी
दिया गया। दरभंगा प्रमंडल के उपनिदेशक (रसायन) विनय कुमार पांडे एवं मधुबनी के सहायक निदेशक (रसायन) दिनेश कुमार ने किसानों को खेतों की मिट्टी को स्वस्थ रखने के संबंध में वृहत जानकारी दी। किसानों को जानकारी दी गई कि रसायनिक उर्वरकों के अंधाधुन प्रयोग मिट्टी की स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। खासकर यूरिया के अधिक प्रयोग से पौधे की वृद्धि अनियंत्रित हो जाता हैं और पौधा खेत में गिर जाते है। इससे उत्पादन कम होता है। खेती लाभकारी नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए किसानों को चाहिए कि वे अपनी खेतों की मिट्टी की जांच करा कर ही अनुशंसित उर्वरकों का ही प्रयोग करें। इससे खेतों की मिट्टी को स्वस्थ रख कर उर्वरा शक्ति बनाए रखा जा सकता है।
नमूना लेकर जिला प्रयोगशाला में करा सकते हैं जांच
सरकार का लक्ष्य प्रत्येक किसान के प्रत्येक प्लाट की मिट्टी की जांच कर उन्हें मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया जाना है। फ़सल बुआई के पहले कोई भी किसान अपने खेत से जांच के लिए मिट्टी का नमूना लेकर उसकी जांच जिला प्रयोगशाला में करा सकते हैं। उर्वरक दो प्रकार के होते हैं एक कल-कारखाने में बने हुए रासायनिक उर्वरक और दूसरा जीव-जंतु, जीवाणु, पेड़-पौधों से बने हुए जैव उर्वरक। रासायनिक उर्वरक के प्रयोग से मिट्टी,
पानी, हवा विषैलें हो रहे हैं और इसके सेवन से मनुष्य भी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं। इसलिए किसान रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग अपने मन से कभी भी नहीं करें। मिट्टी जांच के बाद प्राप्त मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुशंसा के आधार पर ही उर्वरकों का प्रयोग करें। जिला में 12 पारामीटर में मिट्टी जांच हो रही है। रासायनिक उर्वरकों की बजाए जैव उर्वरक का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करें। वर्मी कंपोस्ट, ढैंचा, सनई, मूंग, सड़ी हुई गोबर कंपोस्ट आदि का ही प्रयोग अधिक करें। इससे खेत की मिट्टी तो स्वस्थ रहेगी ही मनुष्य भी स्वस्थ रहेगा और आने वाली पीढ़ी को हम स्वस्थ भूमि दें सकने में सफल होंगे।