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पश्चिम चंपारण के बैरिया एवं नौतन इलाके में गंडक नदी में चलती है बिना निबंधित नावें

एक दशक में हो चुकी हैं दो -दो बार दुर्घटनाएं निबंधित नाव नहीं होने से अक्सर होते हादसे दियारा क्षेत्र में मानसून की दस्तक के पहले ही लोगों को धड़कने बढ़ने लगी हैं। दियारा क्षेत्र के लोगों को नाव ही एक मात्र सहारा रहता है।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 01:56 PM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 01:56 PM (IST)
पश्चिम चंपारण के बैरिया एवं नौतन इलाके में गंडक नदी में चलती है बिना निबंधित नावें
गंडक क्षेत्र में चल रहा बिना निबंधित नाव । जागरण

 पश्चिम चंपारण, जासं। जिले के बैरिया एवं नौतन क्षेत्रों में कई बार नाव दुर्घटनाएं होने के बावजूद भी बिना निबंधित नावों का परिचालन हो रहा है। यहां सरकारी स्तर पर नावों को निबंधित करने की अब तक कोई पहल नहीं की गई है। एक दशक में दो -दो बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। स्थानीय प्रखंड क्षेत्र के दियारा क्षेत्र में मानसून की दस्तक के पहले ही लोगों को धड़कने बढ़ने लगी हैं।

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दियारा इलाके के ग्रामीणों का कहना है कि जब नदी में पानी अधिक बढ़ने के लगता है, तो इसके साथ ही दियारा क्षेत्र के लोगों को नाव ही एक मात्र सहारा रहता है, जिससे लोग इधर से उधर आ- जा सके। ऐसी परिस्थिति में सरकार के पास निबंधित नाव और ट्रेंड नाविक नहीं होने के कारण वैकल्पिक व्यवस्था के तहत निजी नाव और अनट्रेंड नाविक के द्वारा लोगों को सुविधा प्रदान किया जाता है। ऐसीे स्थिति में दुर्घटना की संभावना प्रबल हो जाती है। हालांकि संभावित बाढ़ के मद्देनजर आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी तरह की तैयारिंयां शुरू कर दी हैं। कहीं से भी कोई कमी नहीं रह जाय, इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है।

5 सरकारी व 27 गैर सरकारी नावों का होता है संचालन

बैरिया प्रखंड क्षेत्र के एक पंचायत बैजूआ, जो पूर्ण रूप से गंडक नदी की गोद में ही हैं एवं कुछ पंचायतों के कुछ गांव जैसे बथना, लौकरिया, दक्षिण पटजीरवा, सूर्यपुर इत्यादि पंचायतों में बाढ़ का भीषण प्रकोप रहता है। ऐसी परिस्थिति में पूर्व आंकड़ों के अनुसार अंचल प्रशासन के पास मात्र 5 सरकारी नाव उपलब्ध है। इतनी बड़ी आबादी को सुविधा प्रदान करने में 27 गैर सरकारी नावों से भी कार्य कराया जाता है। गैर सरकारी नाव से कार्य लेने का मतलब है खतरे से खेलना क्योंकि गैर सरकारी नाव का कोई प्रशिक्षित नाविक नहीं होता है, जो कि सरकार द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त किया हो और इनके पास नाव चलाने का लाइसेंस नहीं होता है।

स्वास्थ्य सुविधाओं में भी गैर सरकारी नावों का ही होता है उपयोग

बाढ़ प्रभावित ऐसे गांवों के लोगों को यदि स्वास्थ संबंधित समस्याएं आ गईं, तो उससे निजात पाने में उन्हें गैर सरकारी नावों की ही सहारा लेना पड़ता है। बाढ़ के दिनों मे चंपारण तटबंध पर आने के बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक इलाज के लिए लोगों को जाना पड़ता है। कुल मिलाकर दियारा क्षेत्र से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की दूरी करीब 8 किलोमीटर है।

--पिछले वर्ष करीब दस नाव निबंधित कराया गया था। इस बार ऐसी समस्या नहीं हो, इसके लिए अधिक नावों को निबंधित कराने के लिए वरीय पदाधिकारी को लिखा गया है। इस बार यह समस्या नहीं रहेगी। -अनिल कुमार, अंचल अधिकारी, बैरिया


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