कंडोम के उपयोग को लेकर बिहार के इस जिले ने बनाया अनोखा रिकार्ड, आप भी चौंक जाएंगे
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार मुजफ्फरपुर जिला पूरे बिहार में परिवार नियोजन के साधनों के उपयोग में सबसे आगे चल रहा है। जिले में 55.7 प्रतिशत लोग कंडोम समेत परिवार नियोजन के अन्य साधनों का उपयोग कर रहे हैं।
मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। भारत जैसे देश के विकसीत होने की राह में सबसे बड़ी बाधा जनसंख्या विस्फोट है। इसकी अनियंत्रित वृद्धि दर की वजह से देश में गुणवत्तापूर्ण जीवन नहीं देखने को मिल रहा है। कई प्रकार की समस्याएं खड़ी हो गई हैं। सरकार ने परिवार नियोजन कार्यक्रम इसी उद्देश्य से चला रखा है। अपना मुजफ्फरपुर जिला इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है। अभी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की एक रिपोर्ट आई है जिसमें यह बताया गया है कि पूरे बिहार में मुजफ्फरपुर परिवार नियोजन के साधनों के उपयोग में नंबर वन है। इस जिले के आधे से अधिक लोग कंडोम व परिवार नियोजन के अन्य साधनों का उपयोग करते हैं। इसमें सरकार का भी सहयोग रहा है। सभी पीएचसी, सीएचसी व एपीएचसी में कंडोम के बाक्स नियमित रूप से रखे जा रहे हैं। यह लोगों को मुफ्त में उपलब्ध कराया जा रहा है। खत्म होने पर इसे तुरंत भर दिया जा रहा है। जिससे किसी काे निराश होकर लौटना नहीं पड़ता है। यही वजह है इसके उपयोग में बढ़ोतरी हुई है।
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55.7 प्रतिशत लोग इसे अपना रहे
परिवार नियोजन के साधनों के उपयोग में जिला पूरे सूबे में आगे चल रहा है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है। जिला आशा प्रबंधक के अनुसार जिले में 55.7 प्रतिशत लोग परिवार नियोजन के आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। आशा अपने पास हमेशा परिवार नियोजन के अाधुनिक तरीकों के साधनों को रखती हैं। वह अपने प्रत्येक गृह भ्रमण पर लोगों को इसके बारे में बताती हैं। हर पीएचसी, सीएचसी तथा अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र पर कंडोम के बाक्स रखे गए हैं। खत्म होने पर इसे भरने में भी विभाग काफी तत्पर रहता है। प्रत्येक पीएचसी तथा सीएचसी पर बास्केट आफ च्वाइस मौजूद है। इसके कारण परिवार नियोजन के साधनों के उपयोग का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। सिविल सर्जन डा.विनय कुमार शर्मा ने बताया कि बंध्याकरण को लेकर हर पीएचसी प्रभारी को टास्क दिया गया है। उनका मानना है कि इससे जन्म दर पर अंतर देखने को मिलेगा। इतना ही नहीं दो बच्चों के बीच अंतर रखने में भी दंपती सफल होंगे। जिससे जच्चा व बच्चा मृत्यु दर में कमी देखने को मिल सकता है।
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