Move to Jagran APP

मुजफ्फरपुर में वसूली को लेकर वर्दी एक बार फिर से दागदार, वीडियो वायरल

हाल ही में चौराहे वाले थाने की पुलिस ने गश्ती के दौरान मालवाहक वाहनों से वसूली की। इसका वीडियो जब इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ तो हाकिम ने संज्ञान लिया। हालांकि कभी हाकिम व साहब इलाके में औचक जांच करना उचित नहीं समझते।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 09 Jun 2021 11:44 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jun 2021 11:44 AM (IST)
पूर्व में भी चौराहे वाले थाने के एक दारोगा पर बड़ी कार्रवाई हुई, लेकिन आदत छूट ही नहीं रही।

मुजफ्फरपुर, [संजीव कुमार]। अपराध नियंत्रण व संदिग्ध गतिविधियों पर नकेल कसनेे के लिए थाने से हर दिन गश्ती गाड़ी निकलती है। गश्ती के दौरान पुलिसकर्मी क्या करते हैं? इसकी मॉनीटरिंग ठीक से नहीं होती। तभी तो गश्ती के दौरान एकसूत्री अभियान 'जेब गर्म कैसे हो' चलाया जाता है। इसके लिए वाहन जांच के दौरान नियम कानून बताकर लोगों से वसूली होती है। हाल ही में चौराहे वाले थाने की पुलिस ने गश्ती के दौरान मालवाहक वाहनों से वसूली की। इसका वीडियो जब इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ तो हाकिम ने संज्ञान लिया। हालांकि कभी हाकिम व साहब इलाके में औचक जांच करना उचित नहीं समझते। अगर साहब गश्ती की औचक जांच किए रहते तो इस तरह से वर्दी दागदार नहीं होती। साहब फीलगुड में हैं। इस तरह के कारनामे को लेकर पूर्व में भी चौराहे वाले थाने के एक दारोगा पर बड़ी कार्रवाई हुई, लेकिन आदत है कि छूट ही नहीं रही।

loksabha election banner

कर्मी बेलगाम, साहब मेहरबान

कोई भी समस्या आने पर सबसे पहले लोग थाने पर जाते हैं, मगर थाने पर ठीक ढंग से समस्या का निदान नहीं हो पाता। इसके कारण लोग परेशान होते हैं। थाने में केवल कागज के बंडल का खेल चलता है। जिसका बंडल जितना भारी, उसके पक्ष में कोतवाल। ऐसे में पीडि़त इंसाफ के लिए हाकिम व साहब के पास जाते हैं। वहां पर भी सही ढंग से निदान नहीं होता। हाल ही में मंदिर वाले थाने के कोतवाल के रवैये से आजिज इलाके की पीडि़ता ने हाकिम के पास शिकायत की, मगर ऊपर बैठे हाकिम का असर कोतवाल पर नहीं हुआ। पीडि़तों को लगा, साहब निचले स्तर पर ज्यादा मेहरबान हैं। इस वजह से कई लोग सीधे क्षेत्र के बड़े साहब से शिकायत करते हैं। बड़े साहब की कलम से कई पर कार्रवाई हो चुकी है। फटकार लगी सो अलग, मगर कार्यशैली है कि बदलती नहीं।

केस डायरी लेखक और बिचौलिए

कहने को वर्दी पर स्टार है। लिखते वक्त पसीना आ जाता है, इसलिए खुद केस डायरी नहीं लिखते। सवाल यह उठता है कि ऐसे में किसी मामले की ये कैसे जांच करते होंगे। खैर, अगर जांच कर भी लिए तो केस डायरी लिखने के लिए दूसरे का सहारा लेना पड़ता है। कई थानों पर अक्सर यह देखा जाता कि किसी दूसरे व्यक्ति का सहारा लेकर उनसे केस डायरी लिखवाया जाता है। इसके बदले उन्हें मेहनताना देना पड़ता है। इसकी आड़ में संबंधित व्यक्ति थाने पर बिचौलिए का काम शुरू कर देता है। अक्सर कई थाने पर बिचौलिए पूरे दिन जमे रहते हैं। शहरी क्षेत्र में भले कुछ कम हो, मगर ग्रामीण इलाके के कई थानों पर इस तरह के बिचौलिए पूरे दिन कोतवाल के आगे पीछे दुम हिलाते रहते हैं। बदले में हर दिन खुद के साथ-साथ कोतवाल की भी जेब गर्म करवाते हैं। वैसे बिचौलिए को थाने से दूर रखने का फरमान है, लेकिन ये देखने वाला कौन है।

नो इंट्री रजिस्टर

जाम से निजात दिलाने के लिए बनाए गए थाने में जेब गर्म करने के लिए हर दिन खेल किए जाते। रोकने-टोकने वाला कोई नहीं। ट्रैफिक नियम का पाठ पढ़ाकर हर दिन कई वाहन वालों को पकड़ा जाता है। चालान काटा जाता है। यहां तक तो सब ठीक है। नियम तोडऩे वालों पर कार्रवाई भी जरूरी है, मगर इस आड़ में जेब गर्म करने का खेल कहां तक उचित है। ऐसे खेल को रोकने के लिए विभाग में दो हाकिम हैं, उनके नीचे में मुनीमजी तैनात हो गए हैं। उनके इशारे पर जेब गर्म करने का पूरा खेल चलता है। एक लंबे-कद काठी वाला जवान वहां के हाकिम पर भारी है। उसकी अपनी अलग से दुकानदारी चलती है। उसके पास एक रजिस्टर है। महीना पूरा होते ही नो इंट्री में प्रवेश कराने वाले मालवाहकों से वसूली को पहुंच जाता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.