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विवि की गलती का खामियाजा भुगत रहे दो लाख विद्यार्थी

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की लापरवाही से दो साल से विवि का दीक्षांत समारोह का आयोजन नहीं हो पाया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 08:00 AM (IST)
विवि की गलती का खामियाजा भुगत रहे दो लाख विद्यार्थी
विवि की गलती का खामियाजा भुगत रहे दो लाख विद्यार्थी

मुजफ्फरपुर। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की लापरवाही से दो साल से विवि का दीक्षांत समारोह का आयोजन नहीं हो पाया है। जबकि तत्कालीन कुलपति के कार्यकाल में सारी तैयारियां हो गई थीं। लाखों रुपये खर्च भी हो गए थे। नतीजा यह रहा कि गलती विश्वविद्यालय की सजा छात्रों ने भुगती। सत्र 2014 व सत्र 2015 के उत्तीर्ण स्नातक के छात्रों को डिग्री नहीं मिल पाई है। दो लाख छात्रों की डिग्री के वितरण पर रोक है, जिसे हटवाने में विवि प्रशासन अभी तक नाकाम रहा है।

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ये है स्थिति : सत्र 2014 व 2015 में उत्तीर्ण छात्रों के लिए दीक्षांत समारोह प्रस्तावित था। सारी तैयारियों के बाद राजभवन ने कार्यकाल के छह माह पूर्व अक्टूबर 2016 से वित्तीय अधिकार सीज कर लिए थे। लिहाजा उन्होंने दीक्षांत समारोह कराने से इन्कार कर दिया।

कॅरियर पर संकट : लोहिया कॉलेज से 2014 में स्नातक उत्तीर्ण रंजना कुमारी को दिल्ली में जॉब लग गई थी। लेकिन, अभी तक डिग्री न मिलने से नौकरी से वंचित रहना पड़ा। मो. अशरफ को भी हरियाणा में जॉब के लिए बुलाया गया। लेकिन, डिग्री न होने से वहां नौकरी नहीं मिल पाई। यही हाल एलएस कॉलेज से उत्तीर्ण प्रिंस का रहा, नौकरी मिल कर छूटने के कारण अब स्वरोजगार कर रहे हैं।

पेच यहां फंसा : नियम है कि जब दीक्षांत समारोह प्रस्तावित होता है। तो राजभवन से कुलाधिपति को आमंत्रित कर उनसे आगमन की तिथि ली जाती है। चूंकि पूर्व का प्रस्तावित कार्यक्रम स्थगित हो गया। तो बदली परिस्थिति में विवि द्वारा मार्गदर्शन मांगा जाता है। ताकि राजभवन से डिग्री बांटने की अनुमति मिल सके।

पत्र भेजा गया : परीक्षा नियंत्रक डॉ. ओपी रमण का कहना है कि राजभवन पत्र भेजा गया है। उनसे अनुरोध किया गया है। लेकिन, अभी तक इस बाबत राजभवन से कोई दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है।

छात्र लोजपा के अध्यक्ष गोल्डेन सिंह का कहना है कि विवि प्रशासन को छात्रों के भविष्य से जुड़े इस मामले को सर्वोच्च प्राथमिकता देना चाहिए था। सीधे तौर पर विवि की उदासीनता का नतीजा रहा है।

सवाल दर सवाल : सिंडिकेट सदस्य डॉ. हरेंद्र कुमार का कहना है कि विवि जब परीक्षा कराने में हांफ रही है। तब प्रति वर्ष दीक्षांत समारोह अनिवार्य रूप से कराना आसान नहीं है। इसके लिए इच्छा शक्ति जैसी होनी चाहिए, उसकी विवि प्रशासन में कमी है।


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