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पश्चिम चंपारण की थारू संस्कृति से रूबरू होंगे पर्यटक, स्टे होम में ठहरने का मिलेगा मौका

जिला प्रशासन यहां पर्यटन सुविधा के साथ साथ बहुआयामी गतिविधियां जैसे सांस्कृतिक क्रियाकलाप साहसिक खेल कूद नौकायन थारू के सांस्कृतिक गतिविधियों को दर्शाने के लिए संग्रहालय पर्यटकों के ठहरने को स्टे होम आदि को विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 01:12 PM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 01:12 PM (IST)
पश्चिम चंपारण की थारू संस्कृति से रूबरू होंगे पर्यटक, स्टे होम में ठहरने का मिलेगा मौका
वाल्मीकिनगर क्षेत्र में पर्यटन सुविधा विकसित करने हेतु बनाई जा रही कार्य योजना। फोटो- जागरण

बगहा, जासं। महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व की खुबसूरती के लिए जाता है। लेकिन, क्षेत्र में ऐसे कई अनजाने दर्शनीय स्थल हैं जहां पर्यटक नहीं पहुंच पाते। ये क्षेत्र संघन वनों से आच्छादित हैं। वहीं दूसरी ओर वीटीआर को स्पर्श कर बहती गंडक नदी का स्वरूप वास्तव मे दर्शनीय है। यहां साल भर बाहरी और स्थानीय पर्यटकों की आवाजाही लगी रहती है। लेकिन ठहरने का समुचित इंतजाम नहीं होने के कारण अधिकांश पर्यटक लौट जाते हैं। इन सभी संभावनाओं को देखते हुए जिला प्रशासन यहां पर्यटन सुविधा के साथ साथ बहुआयामी गतिविधियां जैसे सांस्कृतिक क्रियाकलाप साहसिक खेल कूद, नौकायन, थारू के सांस्कृतिक गतिविधियों को दर्शाने के लिए संग्रहालय, पर्यटकों के ठहरने को स्टे होम आदि को विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है। ताकि अधिक से अधिक पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके। रविवार को जिलाधिकारी कुंदन कुमार के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम वाल्मीकिनगर पहुंची। अधिकारियों ने कई जगहों का भ्रमण कर संभावनाएं तलाशी। कहा कि वाल्मीकिनगर को पर्यटन नक्शे में उभारने के लिए इन क्षेत्रों में सुविधाओं को विस्तार देने की जरूरत है। ताकि देश दुनिया को इसकी जानकारी हो सके। इसके अलावा पर्यटन से स्थानीय रोजगार से बढावा मिलेगा। इस योजना का उद्देश्य ट्रैकिंग टूरिज्म की संभावनाओं वाले दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटकों के लिए आवासीय सुविधाएं जुटाना और साहसिक पर्यटन को नई ऊंचाइयां प्रदान करना है। होम स्टे के माध्यम से गांवों में ही स्थानीय स्तर पर रोजगार देने की कवायद की जाएगी। वाल्मीकिनगर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने पलायन को रोकने एवं पर्यटन को उद्योग के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी और उसे क्लस्टर के रूप में विकसित किया जाएगा। डीएम श्री कुमार ने कहा कि कई जगहों को चिन्हित किया गया है। जिसका विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इस मौके पर एसडीएम दीपक कुमार मिश्रा समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।

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ऐसा होता है ‘होम स्टे’

वनों में मौजूद गांवों में निवास करने वालों का सादगी भरा जीवन, वहां के घरों की बनावट और ग्रामीण सौंदर्य को बरकरार रखते उन्हीं के निवास स्थान में अतिरिक्त कमरा अथवा परिसर में नया कमरा निर्माण करने की संकल्पना है। इस कमरे की बनावट स्थानीय निवास से अलग नहीं रहेगी। लेकिन स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। साफ-सुथरे कमरे के अलावा शौचालय की सुविधा भी रहेगी।

खाली पड़ी जमीन पर विकसित होगा स्टे रूम

ऐसे में वीटीआर के हरे-भरे जंगलों के आसपास खाली पड़े भूखंडो पर पर्यटन की सुविधा प्रदान कर ईको टूरिज्म का केंद्र बनाया जाएगा। यहां आने वाले पर्यटक बाघ, तेंदुआ, भालू, हिरन, जंगली सुअर आदि के साथ थारू संस्कृति से भी रूबरू होंगे। सरकारी आवासों का सुंदरीकरण कर पर्यटन आवास एवं खूबसूरत पार्क का निर्माण किया जाएगा। इस दौरान यह भी ध्यान रखा जाएगा की जंगल की प्राकृतिक आभा से छेड़छाड़ न हो। वीटीआर भ्रमण पर आने वाले सैलानी अब थारू जनजाति की संस्कृति, खान-पान, वेशभूषा, रहन-सहन से रुबरू होकर एक अनोखा अनुभव लेकर साथ जाएंगे।

थारू व्यंजन के साथ ही गीत-संगीत का आनंद

ये एक ऐसा स्थल होगा जहां रेस्टोरेंट में थारू खाना पर्यटकों को उपलब्ध रहेंगी। साथ ही थारूओं के लोकगीत और संगीत का भी मजा सैलानी उठा पाएंगे। शाकाहारी भोजन की भी व्यवस्था रहेगी। नई पहचान के साथ पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। 


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