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Tourist Places in Bihar: यहां हवनकुंड से उत्‍पन्‍न हुईं थीं द्रौपदी, राम ने परशुराम के साथ की थी पूजा; बिहार के शिवहर में पर्यटन की बड़ी संभावना

Best Tourist Places of Sheohar Districet in Bihar बिहार का शिवहर जिला धार्मिक दृष्टि से महत्‍वपूर्ण है। माना जाता है कि यहीं हवनकुंड से द्रौपदी उत्‍पन्‍न हुई थीं। यहीं भगवान परशुराम का मोहभंग हुआ था तथा उनके साथ भगवान राम ने पूजा की थी।

By Amit AlokEdited By: Published: Sat, 28 May 2022 01:18 PM (IST)Updated: Sat, 28 May 2022 01:59 PM (IST)
Tourist Places in Bihar: यहां हवनकुंड से उत्‍पन्‍न हुईं थीं द्रौपदी, राम ने परशुराम के साथ की थी पूजा; बिहार के शिवहर में पर्यटन की बड़ी संभावना
Tourist Places in Sheohar, Bihar: दुकेली धाम में दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु। तस्‍वीर: जागरण।

शिवहर [नीरज]। Tourist Places in Bihar: शिवहर बिहार का सबसे छोटा जिला है, लेकिन इसका धार्मिक महत्‍व बहुत बड़ा है। यहां के कई धर्म स्थलों की प्राचीनता रामायण और महाभारत काल तक मानी जाती है। आज अयोध्‍या में भगवान श्रीराम का भव्‍य मंदिर बनाया जा रहा है। बिहार के सीतामढ़ी में माता सीता के भव्‍य मंदिर के निर्माण की कवायद भी शुरू है। लेकिन यह भी जान लीजिए कि शिवहर में हवनकुंड से द्रोपदी उत्‍पन्‍न हुई थीं तथा यहीं भगवान राम ने परशुराम के साथ पूजा की थी। जिले में पुरनहिया प्रखंड के अशोगी गांव स्थित बौद्धि माई स्थान, देकुली धाम स्थित बाबा भुवनेश्वरनाथ महादेव मंदिर, राज दरबार, रामजानकी मंदिर छतौनी को पर्यटन का केंद्र बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। आप यहां पटना व मुजफ्फरपुर से सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। वायु मार्ग से पटना या दरभंगा आकर फिर सड़क मार्ग से शिवहर जा सकते हैं।

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यहां हवन कुंड से उत्पन्न हुईं थीं द्रोपदी

शिवहर-सीतामढ़ी हाईवे के ठीक किनारे डुब्बघाट के पास देकुली धाम है। यहां स्थित बाबा भुवनेश्वरनाथ महादेव मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है। महाशिवरात्रि, विवाह पंचमी, बसंत पंचमी व रामनवमी पर भव्य मेला लगता है। यहां सालभर शादी, विवाह, उपनयन व मुंडन आदि संस्कार होते हैं। बाबा भुवनेश्वरनाथ मंदिर अति प्राचीन है। वर्ष 1962 में खोदाई के दौरान यहां कई प्राचीन मूर्तियां मिली थीं। कहा जाता है कि देकुली धाम में ही हवन कुंड से द्रौपदी उत्पन्न हुई थीं। युद्धिष्ठिर ने इस इलाके में 61 तालाब खोदवाए थे। जहां युधिष्ठिर ठहरे थे, वह क्षेत्र धर्मपुर के रूप में आज भी बरकरार है। इसके आसपास कुश की खेती की जाती थी। इस कारण यह क्षेत्र कुशहर के रूप में आज भी बरकरार है।

इस इलाकों में ठहरे थे कौरव-पांडव

शिवहर निवासी वयोवृद्ध अजब लाल चौधरी बताते हैं कि देकुली धाम मंदिर का उल्लेख अंग्रेजों के गजट में किया गया था। अंग्रेजों की लगान वसूली रसीद पर भी इसका उल्लेख मिलता था। पूर्वज बताते थे कि इसी स्थल पर यज्ञ के दौरान द्रौपदी हवन कुंड से निकली थीं। महाभारत काल में इसके आस पास के इलाकों में कौरव-पांडव भी ठहरे थे। शिवहर के अधिवक्ता देशंबंधु शर्मा बताते हैं कि इसका संबंध महाभारत काल से है। इलाका पिछड़ा होने के कारण इसके प्रमाण के अभिलेख नही हैं, लेकिन यह स्थल पुरातत्व विभाग के लिए अध्ययन का विषय है।

रामायण और महाभारत कालीन मंदिर

पंडित गिरधर गोपाल चौबे बताते हैं कि पहले शिवहर भी सीतामढ़ी जिले का अंग रहा था। सीतामढ़ी माता-जानकी की जन्मस्थली है। इलाके में दर्जनों रामायण और महाभारत कालीन शिवालय और देवालय हैं। देकुली धाम के आसपास धर्मपुर, कुशहर, कोपगढ़, मोहारी जैसे  गांव आज भी हैं।

महर्षि परशुराम का हुआ था मोह भंग

इन गांवों का संबंध धर्मराज युधिष्ठर, महर्षि परशुराम और भगवान श्रीराम से भी है। कोपगढ़ गांव को महर्षि परशुराम से जुड़ा बताया जाता है। कहा जाता है कि सीता स्वयंवर में धनुष टूटने पर जब वे कुपित हुए थे तब यहां आए थे। महर्षि परशुराम का जिस गांव में मोह भंग हुआ था, वह गांव मोहारी के नाम से आज भी वजूद में है। यह भी पास में ही है।

राम ने परशुराम के साथ की थी पूजा

कहा जाता है कि देकुली धाम मंदिर में राम ने परशुराम के साथ पूजा की थी, जिससे पूरा क्षेत्र शिव व हरि का मिलन क्षेत्र कहलाया। कालांतर में यह क्षेत्र को शिवहर के नाम से जाना जाने लगा। देकुली धाम मंदिर के पुजारी शिवपूजन भारती बताते हैं कि मंदिर के बाबा भुवनेश्वरनाथ महादेव जन-जन की आस्था के केंद्र हैं। इनसे जुड़ी कई कथाएं हैं। इनका संबंध महाभारत काल से है।

आस्था का केंद्र है बौद्धि माता स्थान

शिवहर जिले के पुरनहिया प्रखंड के अशोगी गांव स्थित बौद्धि माता मंदिर और इसके आसपास के इलाके को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनी है। पर्यटन विभाग के निर्देश पर अधिकारियों की टीम ने इस स्थल का निरीक्षण कर रिपोर्ट भेज दी है। बौद्धि माता मंदिर में नागपंचमी पर विशाल मेला लगता है। यह स्थान लोक देवी के रूप में चर्चित है। यहां  बरगद का सैकड़ों साल पुराना पेड़ है। एक ही पेड़ की शाखाएं डेढ़ एकड़ में फैली हैं।  

तीन शिवलिंग वाला शिवालय

इसके अलावा शिवहर शहर के बीचोबीच स्थित रानी पोखर के किनारे तीन शिवलिंग वाला शिवालय है। इसे ब्रह्मा, विष्णु व महेश का प्रतीक कहा जाता है। इस शिवालय में वास्तु व शिल्प का बेजोड़ संगम है। गुंबद को पत्थरों से सजाया गया है, जिस पर बेहतरीन नक्काशी की गई है। इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1854 में अकाल से मुक्ति के लिए शिवहर के तत्कालीन राजा शिव नंदन सिंह बहादुर ने कराया था। राज दरबार परिसर में स्थापित इस शिव मंदिर को रानी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। हाल ही में मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान यहां 12वीं सदी के बौद्धकालीन दो स्तंभ मिले हैं।   

कैसे पहुंचें, कहां ठहरें, जानें

आस्‍था के इस बड़े केंद्र तक सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। शिवहर शहर रेल या वायु मार्ग से नहीं जुड़ा है। हां, आप वायु मार्ग से पटना या दरभंगा आकर फिर सड़क मार्ग से शिवहर पहुंच सकते हैं। पटना से मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी होते हुए सड़क मार्ग से शिवहर पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा पूर्वी चंपारण के ढाका, मधुबन और मुजफ्फरपुर के मीनापुर के रास्ते सड़क मार्ग से शिवहर पहुंच सकते है। शिवहर शहर से पांच किमी पूरब और सीतामढ़ी शहर से 23 किमी की दूरी पर देकुली धाम मंदिर अवस्थित है। यहां ठहरने के लिए मंदिर परिसर में चार कमरों का विश्रामालय है। जबकि, पास में एक निजी विवाह भवन भी है। इसके अलावा शिवहर शहर में आधा दर्जन छोटे-बड़े होटल हैं। आप पटना, मुजफ्फरपुर या सीतामढ़ी के होटलों में रहकर भी शिवहर घूमने जा सकते हैं।


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