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मुजफ्फरपुर में एईएस से पांच और बच्चों की मौत, डॉक्‍टरों ने कही ये बड़ी बात

मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में एईएस बेकाबू हो बच्चों की जान ले रहा। सोमवार की सुबह पांच की मौत हो गई 48 गंभीर हैं। चिकित्सकों ने कहा कि अब बारिश का इंतजार है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 17 Jun 2019 01:19 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jun 2019 05:19 PM (IST)
मुजफ्फरपुर में एईएस से पांच और बच्चों की मौत, डॉक्‍टरों ने कही ये बड़ी बात
मुजफ्फरपुर में एईएस से पांच और बच्चों की मौत, डॉक्‍टरों ने कही ये बड़ी बात

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में एक्यूट इंसेफलाइट‍िस स‍िंड्रोम (एईएस) बेकाबू हो बच्चों की जान ले रहा। मरनेवालों और पीड़ि‍तों के आने का स‍िलस‍िला थम नहीं रहा। डॉक्टरों की टीम असहाय नजर आ रही। सोमवार को पांच बच्चों की मौत हो गई। इनमें तीन का एसकेएमसीएच और दो का केजरीवाल अस्पताल में इलाज चल रहा था। भीषण गर्मी और उमस के बीच 48 नए मरीजों को इलाज के ल‍िए लाया गया। एसकेएमसीएच में 42 और केजरीवाल में छह मरीजों को भर्ती कराया गया है। सभी की हालत गंभीर बताई जा रही।

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 इस मौसम में एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल म‍िलाकर 116 बच्चों की मौत हो चुकी है। जबकि, 395 बच्चों को व‍िभ‍िन्न पीएचसी से लेकर एसकेएमसीएच तक में भर्ती कराया जा चुका है। इनमें कई ठीक होकर घर भी चले गए हैं। इससे पहले रव‍िवार को 16 बच्चों की मौत हो गई थी। इनमें 15 बच्चे एसकेएमसीएच में भर्ती थे, जबकि‍ एक बच्चे का केजरीवाल अस्पताल में इलाज चल रहा था।

 रव‍िवार की रात 11 बजे के बाद आधे घंटे के अंतराल में ही सात बच्चों की मौत हो गई। एईएस की भयावहता को देखते हुए रव‍िवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्वि‍नी चौबे व सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय पहुंचे थे। उन्होंने इलाज को संतोषजनक बताया। 

केजरीवाल में ये हुए भर्ती

माधोपुर-कांटी का अलीशाद राजा, ब‍िंदा-मुशहरी की प्रियंका कुमारी, नरौली-मुशहरी का अनिल कुमार, ठिकहां-बैकटपुर कांटी का अव‍िनाश कुमार, वैशाली की रिया कुमारी, कटरा का फैयाज, मोतीपुर-मुशहरी का प्रियांशु, सिवाईपट्टी का मो. अयान।

एसकेएमसीएच में ये हुए भर्ती

सरैया की शबाना खातून, कांटी की न‍िशा कुमारी, मोतीपुर की तान्या कुमारी, मोत‍िहारी की पायल कुमारी, मोतीपुर-नर‍ियार का मो. गुलाब सह‍ित 12 अन्य।

एसकेएमसीएच पहुंचे ज‍िला प्रभारी मंत्री

पीड़‍ित बच्चों की स्थ‍ित‍ि का जायजा लेने सोमवार की सुबह ज‍िला प्रभारी मंत्री श्याम रजक पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने पीआइसीयू वार्ड का न‍िरीक्षण क‍िया। बच्चों के प‍र‍िजन से मिलकर इलाज का फीडबैक ल‍िया। वार्ड से निकलने के बाद मंत्री ने अधीक्षक डॉ. एसके शाही, डीएम आलोक रंजन घोष व अध‍िकार‍ियों के साथ बैठक की।

चिकित्सकों को भी बारिश का इंतजार

हर साल अप्रैल से लेकर जून तक उच्च तापमान और नमी की अधिकता के बीच यह बीमारी भयावह रूप लेती रही। इस अंतराल में बारिश होती तो थोड़ी राहत दिख जाती। नहीं तो नौनिहालों की मौत का सिलसिला...। डॉक्टर बताते हैं कि तापमान गिरने से बीमारी का प्रकोप कम होता है। पिछले कई वर्षों के आंकड़े का हवाला देते हैं, रिकॉर्ड दिखाते हैं। बात सही भी है कि जिस साल अच्छी बारिश हुई, बीमारी दबी रही। मौसम के तल्ख होते ही, इसका उग्र रूप। बच्चे इस बीमारी की चपेट से उस दिन से बाहर आ जाते हैं, जिस दिन बारिश की बूंदें गिर जाती हैं। ये बूंदें बच्चों के लिए अमृत से कम नहीं। अब तो एसकेएमसीएच व अन्य अस्पतालों में पीडि़त बच्चों का इलाज कर रहे चिकित्सक भी बारिश को ही बड़ा सहारा मान रहे।

नियमित अंतराल में बारिश से राहत

आंकड़े भी बता रहे कि जिस वर्ष अप्रैल से जून तक बारिश नहीं हुई, अधिक बच्चों की मौत हुई। 2012 में 336 बच्चे प्रभावित हुए। इनमें 120 की मौत हो गई। वहीं, 2014 में प्रभावितों की संख्या 342 पहुंच गई। इनमें 86 की मौत हो गई। पिछले तीन वर्षों से इन अवधि में हल्की ही सही, नियमित अंतराल में बारिश होने से कम बच्चों की मौत हुई। 2016 व 17 में चार-चार तो 2018 में 11 बच्चों की मौत हुई। इस वर्ष बारिश नहीं के बराबर हुई। यही कारण रहा कि अब तक 114 मासूमों की मौत हो चुकी है। 

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