Saraswati Pooja : खुद से बनाई प्रतिमा से मां सरस्वती की पूजा करतीं यह महिला शिक्षक
Saraswati Pooja 13 सालों से लगातार चल रहा सिलसिला। बाजार से खरीदी प्रतिमा के भंग होने पर महिला शिक्षक ने लिया संकल्प।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। वर्ष 2006 में मेरे घर पर सरस्वती पूजा का आयोजन हुआ था। मां सरस्वती की प्रतिमा बाजार से खरीदकर लाई गई थी। पूजा शुरू होने से पहले प्रतिमा के घुटना के नीचे का पैर टूट गया। मां की भंग प्रतिमा देखकर अपार दुख हुआ। बाद में यह कमर से भी टूट गई। ये देखकर मैं रो पड़ी। उसी समय मन में ठान लिया कि अगले वर्ष खुद से मां सरस्वती की प्रतिमा बनाऊंगी। 2007 में प्रतिमा बनाने का प्रयास किया और सफल रहा।
ये मेरे संकल्पों की जीत थी। फिर तो यह सिलसिला चल पड़ा जो अब तक जारी है। मैं जब प्रतिमा खुद से बनाकर पूजा करती हूं, तो मुझे अति आनंद मिलता है। माघ में मेरे लिए खास होता है। यह कहना है कि सरैया प्रखंड की नरगी जीवनाथ गांव की रेणु रंजन का। पेशे से शिक्षक रेणु रंजन के लिए हर दिन ही सरस्वती की आराधना का है, लेकिन सरस्वती पूजा का दिन खास होता है।
वे कहती हैं कि शुरू में प्रतिमा बनाने में काफी परेशानी होती थी। कोई तो पागल तक कह देता। कई लोग सलाह देते कि इतनी मेहनत से तो अच्छा है प्रतिमा खरीदकर पूजाकर लो। इन सबसे बेखबर वह अपनी धुन पर कायम रहीं। आज वे सभी उनकी सरहना करते हैं और उसकी बनाई प्रतिमा को देखने व पूजा में भाग लेने आते हैं। रेणु कहती हैं कि उनमें जन्मजात चित्रकारी का गुण है। 1992 में चित्रकला प्रतियोगिता में वह जिला स्तर पर अव्वल आई थीं। प्रतिमा बनाने में इससे काफी सहयोग मिला।