प्यार किया है, प्यार करेंगे, साथ जियेंगे, साथ मरेंगे... को बिहार के इस दंपती ने सच साबित कर दिया
70 वर्षीय राजाराम महतो की पत्नी जेबरी देवी की मृत्यु मंगलवार की देर रात हो गई। इसकी जानकारी मिलने पर वे गहरे सदमे में आ गए। उनकी तबीयत खराब हो गई। ज्यों-ज्योंं वक्त गुजरता गया उनका स्वास्थ्य और खराब होता गया। बुधवार की सुबह उन्होंने भी प्राण त्याग दिए।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। किशोरावस्था के दैहिक आकर्षण से लेकर दांपत्य के प्रगाढ़ प्रेम के दौरान इंसान न जाने कितनी बार अपने साथी को ' साथ जियेंगे-साथ मरेंगे' की बात कहता है। कहे भी क्यों नहीं, जीवन रूपी इमारत प्रेम की नींव पर ही अधिक मजबूत हाेती है। लेकिन, साथ जीने-मरने की कसम को उसी रूप में प्राकृतिक ढंग से पूरा करना शायद ही कहीं हो पाता हो। मुजफ्फरपुर के बंदरा में कुछ ऐसा ही हुआ। एक दंपती ने ' साथ जियेंगे-साथ मरेंगे' की बात कोपूरा कर दिखाया। पत्नी की मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही थी। इस सदमे को उसके पति बर्दाश्त नहीं कर सके और उन्होंने भी अपने प्राण त्याग दिए।
सदम को नहीं सह सके
बंदरा प्रखंड अंतर्गत सुंदरपुर रतवारा पंचायत निवासी 70 वर्षीय राजाराम महतो की पत्नी जेबरी देवी की मृत्यु मंगलवार की देर रात हो गई। इसकी जानकारी मिलने पर वे गहरे सदमे में आ गए। उनकी तबीयत खराब हो गई। वहीं दूसरी ओर लोग जेबरी देवी के अंतिम संस्कार की तैयारी भी कर रहे थे। ज्यों-ज्योंं वक्त गुजरता गया, उनका स्वास्थ्य और खराब होता गया। बुधवार की सुबह उन्होंने भी प्राण त्याग दिए। स्वजनों के अनुसार दोनों में शुरू से ही काफी प्रेम था। कभी किसी भी मुद्दे पर उनमें विवाद नहीं हुआ। कठिन से कठिन परिस्थिति में भी उन दोनों के बीच प्रेम बना रहा। इसकी चर्चा आसपास के क्षेत्र में चल रही है।
एक ही अर्थी दोनों शव को ले जाया गया
पंचायत के पूर्व मुखिया महेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि वे अपने पीछे एक पुत्र और दो पुत्री से भरा- पूरा परिवार छोड़ गए। एक ही अर्थी पर उनके शव को श्मशान घाट लाया गया। बूढ़ी गंडक नदी के मुक्तिधाम घाट पर दोनों को एक ही चिता पर रख उनके पुत्र रामकुमार महतो ने मुखाग्नि दी। मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने दंपती को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।