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कोरोना काल में पर्यावरण संरक्षण का यह हो सकता बेहतर उपाय, आपने ट्राइ किया क्या?

कोरोना में मिला अवसर तो छत पर उगा रहे फल-सब्जी। बीआइटी मेसरा से एमबीए की पढ़ाई कर रहे प्रबंधक पिता व शिक्षक मां के पुत्र सौरव कोरोना काल में घर पर पढ़ाई के साथ-साथ कर रहे पर्यावरण संरक्षण के लिए काम।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 09:49 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 09:49 AM (IST)
कोरोना काल में पर्यावरण संरक्षण का यह हो सकता बेहतर उपाय, आपने ट्राइ किया क्या?
स्मार्ट स्विच के जरिए मोबाइल से करते हैं पटवन व खाद डालने की प्रक्रिया को नियंत्रित। फोटो- जागरण

दरभंगा, जासं। दरभंगा शहर से सटे खाजासराय लहेरियासराय निवासी सौरव कुमार ने कोरोना काल में अपने घर की छत को हरियाली के रंग में रंग दिया है। बीआइटी, मेसरा में एमबीए की पढ़ाई कर रहे सौरव कोरोना के क्रूर काल में कालेज की बजाय घर को अपनी पढ़ाई का केंद्र बनाया तो घर को हरा-भरा बनाने का संकल्प लिया। कोरोना के खतरों से घर में रहने के प्रतिबंधों को अवसर में बदला। दो साल में घर की छत पर जहां रंग-बिरंगे फूल खिल रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सेहत बनानेवाले फल यथा जामुन, आम, पपीता, संतरा, नींबू, स्ट्राबेरी आदि का भी उत्पादन कर रहे हैं। महंगे गमलों के जगह ग्रो बैग का इस्तेमाल किया है। पौधों को पानी देने के लिए ड्रिप इरिगेशन विधि अपनाई है। घर के आर्गेनिक कूड़ा की मदद से तैयार खाद का उपयोग कर रहे हैं। स्मार्ट स्विच लगाकर पानी व खाद डालने की प्रक्रिया को मोबाइल से नियंत्रित कर रहे हैं।

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कोरोना के खतरों से लड़ने की जिद ने दी प्रेरणा

सौरव के पिता नरेंद्र नाथ ठाकुर एक निजी कंपनी में प्रबंधक हैं। मां मंजू झा शिक्षिका हैं और बड़े भाई अभिषेक ठाकुर बीआइटी मेसरा से ही इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कर रहे रहे हैं। इन सभी लोगों ने सौरव का सहयोग पर्यावरण संरक्षण के इस काम में सहयोग किया है। बताते हैं- कोरोना काल में यह अनुभव किया शहरी इलाके में कोरोना का प्रभाव ज्यादा है। वैसे स्थानों पर इसका प्रभाव काफी कम दिखा, जहां पर्यावरण शुद्ध है। गांवों में लोग बिना मास्क के रह रहे हैं। उनमें संक्रमण नहीं फैल रहा। शहर में जमीन की कमी है, सो छत पर पौधा लगाकर पर्यावरण शुद्ध करने का मन बनाया। दो साल में मेरी फुलवारी तैयार हो गई है। मैंने इसे आधुनिक तकनीक से जोड़ा है। यह स्थानीय लोगों को भा रहा है।

पड़ोसी संजीव कुमार, कौशल आचार्य, रामचंद्र झा समेत करीब दर्जन भर से ज्यादा लोगों छत पर पौधा लगाना शुरू कर दिया है। इससे एक स्वच्छ पर्यावरण का निर्माण होगा और कोरोना से जंग आसान होगी। आत्मा के सहायक निदेशक पुर्णेन्दुनाथ झा ने कहा कि इस तरह के प्रयास से पर्यावरण शुद्ध होगा। जहां जमीन की कमी है, वहां शहरी क्षेत्र में लोगों को इस तरह की कोशिश करनी चाहिए। इससे पर्यावरण शुद्ध होगा। साथ ही शुद्ध फल व सब्जी प्राप्त होगा।


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