प्यास बुझाने को पानी में बहा दिए करोड़ों, हलक फिर भी सूखे
98 करोड़ में से 30 करोड़ खर्च होने के बाद भी शहर के आधे घरों तक नहीं पहुंचा निगम का पानी। 1 करोड़ 57 लाख 50 हजार गैलन पानी शहर को चाहिए प्रतिदिन।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। गलत नीति और लापरवाही के चलते करोड़ों खर्च के बाद भी शहरवासियों के हलक सूखे हैं। शहर के आधे घरों तक निगम का पानी नहीं पहुंच सका है। हाल यह है कि पिछले पांच साल में जलापूर्ति योजना पर 30 करोड़ खर्च हो चुके हैं। करोड़ों रुपये पड़े हुए हैं। हाल में बिहार आधारभूत संरचना निगम जलापूर्ति योजना मद में साढ़े तीन अरब रुपये मिले हैं। लेकिन, योजना टेंडर की प्रक्रिया में फंसी है।
प्रतिदिन 79 लाख 50 हजार गैलन कम पानी की सप्लाई
शहर के आधे घरों तक निगम पानी नहीं पहुंचा सका है। विशेषकर वैसे क्षेत्र जो बाद में शहर से जुड़े। वहां निगम की पाइप लाइन ही नहीं है। आबादी के हिसाब से शहरवासियों के लिए प्रतिदिन एक करोड़ 57 लाख 50 हजार गैलन पानी की जरूरत है, लेकिन मात्र 78 लाख गैलन पानी की ही आपूर्ति हो रही। इससे साफ है कि शहरवासियों को 79 लाख 50 हजार गैलन कम पानी मिल रहा।
सार्थक नहीं निगम का वाटर मैनेजमेंट
वर्तमान में शहर की आबादी तकरीबन पांच लाख है। जलापूर्ति व्यवस्था के नाम पर निगम के पास 25 पंपिंग स्टेशन, 11 जलमीनार, 203 किमी लंबी भूमिगत पाइपलाइन, 454 स्टैंड पोस्ट, 311 सामान्य चापाकल एवं 200 इंडिया मार्का-3 चापाकल हैं। लेकिन, हालात यह है कि अधिकांश पंपिंग स्टेशन फेल हो चुके हैं। जलमीनार सिर्फ देखने के लिए हैं। अधिकांश स्टैंड पोस्ट भूमिगत हो चुके हैं।
बीच रास्ते में दम तोड़ गई 98 करोड़ की जलापूर्ति योजना
जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के अंतर्गत शहर को वर्ष 2010 में 98 करोड़ रुपये मिले। इससे शहर में जलापूर्ति पाइप लाइन बिछाने के साथ-साथ 10 जलमीनार एवं 29 पंप हाउसों का निर्माण होना था। योजना की डीपीआर हैदराबाद की एक कंपनी ने बनाई। बाद में सरकार ने योजना उससे वापस लेकर इसका जिम्मा बिहार शहरी आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड (बुडको) को सौंप दिया। बुडको ने कार्य के लिए पिछले साल 59 करोड़ के टेंडर निकाले।
नगर निगम, बुडको एवं हैदराबाद की एक निर्माण एजेंसी के बीच करार के बाद काम शुरू हुआ। दो साल यानी 19 दिसंबर 2013 तक कार्य पूरा करना था। लेकिन, 30 करोड़ खर्च कर 10 प्रतिशत भी काम नहीं हुआ और योजना ठंडे बस्ते में चली गई। इससे जो काम हुआ, वह भी किसी लायक नहीं है। अधूरे बने वाटर टैंक और पाइन लाइन भी अब काम की नहीं रह गई है।
16 पंचायतों में टैंकर से सप्लाई
मुरौल की चार, सकरा की सात, मुशहरी की दो, बंदरा कीं दो तथा कांटी की एक पंचायत में टैंकर से पानी की सप्लाई हो रही। जहां टैंकर पहुंच रहा वे जगहें हैं, सादिकपुर मुरौल में स्कूल के पास, ईटहां रसूलनगर के मालपुर में, हरसिंगपुर लौतन में चौक पर, मीरापुर में मदरसा के नजदीक, मुरा हरलोचन में बारी चौक पर, मझौलिया में, केशोपुर में मंदिर के पास, मिश्रौलिया में स्कूल पर, मुजफ्फरपुर में पुलिस लाइन, सकरा फरीदपुर में, गौरीहार के पैतरापुर में, रामपुरदयाल में चौक पर, रतवारा में हनुमान मंदिर के निकट, कांटी में तथा नगर क्षेत्र में एमआइटी के पास प्वाइंट पर पानी पहुंच रहा है।
शनिचरा स्थान मोहल्ले में जलस्तर 200 फीट नीचे, सूख गए चापाकल
मुजफ्फरपुर में शनिचरा स्थान वार्ड नंबर 30 में पानी की भारी किल्लत से सैकड़ों लोग जूझ रहे हैं। मोहल्ले की करीब 500 की आबादी पानी के लिए परेशान है। जलस्तर 200 फीट नीचे जाने से सभी चापाकल सूख गए हैं। घरों में लगे पंप पानी नहीं खींच पा रहे। नगर निगम ने पानी की पाइप लाइन बिछाई।
दो साल पहले एक सबमर्सिबल पंप भी लगा दिया, लेकिन घरों में कनेक्शन नहीं दिया। यहां सबमर्सिबल पंप से पानी लेने के लिए सुबह-शाम मोहल्ले वालों की भीड़ लगती है। मोहल्ले के दिनेश कुमार, विक्की कुमार और लालबाबू कुमार कहते हैं कि पानी घरों तक पहुंचा नहीं और विभाग बिल मांग रहा।
मंत्री के मोहल्ले में भी पेयजल की समस्या
राज्य के नगर विकास एवं आवास मंत्री का घर चक्कर चौक पर है। उस इलाके में कमिश्नर से लेकर डीआइजी तक के आवास हैं। बावजूद पानी के लिए हाहाकार है। मोहल्ले के दर्जनों चापाकल सूख चुके हैं। यहां भी दो साल पहले पाइप लाइन बिछाई गई थी। लेकिन, कनेक्शन नहीं दिया गया। लोगों का कहना है कि जब मंत्री के मोहल्ले में यह हाल है तो अन्य जगहों का समझा जा सकता है।
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