एक बार भी मिलते जिनसे, उनके दिल में बना लेते अपनी जगह
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का मुजफ्फरपुर से गहरा लगाव था। 1957 से 2004 के बीच उन्होंने कई बार इस शहर की यात्रा की। इस दौरान जिनसे भी एक बार मिले, उनके दिल में अपनी जगह बना ली।
मुजफ्फरपुर । पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का मुजफ्फरपुर से गहरा लगाव था। 1957 से 2004 के बीच उन्होंने कई बार इस शहर की यात्रा की। इस दौरान जिनसे भी एक बार मिले, उनके दिल में अपनी जगह बना ली। कई लोगों के पास उनकी मुजफ्फरपुर यात्रा की तस्वीर है तो उनके लिखे शब्द राणी सती मंदिर व जालान औषधालय में अब भी सुरक्षित हैं।
कार्यकर्ताओं में भरते रहे जोश : आरएसएस में बचपन से ही सक्रिय रहे अशोक कुमार ने कहा कि संगठन उनके लिए हमेशा सर्वेपरि रहा। 1996 में जब वे राणीसती मंदिर में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में शामिल होने आए तो कुछ कार्यकर्ताओं के साथ मिलने का मौका मिला। संगठन की शिकायत करने पर चुटकी लेते हुए कहा, तुमलोग बाथरूम में जाते हो। सबने कहा,जी बिल्कुल। अगर, बाथरूम में गिर जाओ और पांव में मोच आ जाए तो क्या बाथरूम जाना छोड़ दोगे?। सब चुप हो गए। उन्होंने समझाया कि पार्टी परिवार है और छोटी-छोटी बात पर जिस तरह से लोग परिवार नहीं छोड़ते, उसी तरह से पार्टी में परेशानी हो तो उसको बैठकर दूर करें। उनकी यह सीख आज भी प्रेरणा देती है। अशोक ने कहा कि मेरी जानकारी में वे यहां 1957, 1967, 1974, 1977, 1980, 1984, 1996, 2000 और 2004 में कुछ नौ बार आए।
काम करें, पद तो आनी-जानी
भाजपा नेता देवांशु किशोर कहते हैं कि मैं 1996 में भारतीय जनता युवा मोर्चा का जिलाध्यक्ष था। पटना में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक थी। उसमें मैं भी आमंत्रित था। वहां उनसे मिलने का मौका। खाना खाते समय वे सबसे परिचय ले रहे थे। उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रख परिचय लिया। जब मैंने बताया कि मुजफ्फरपुर से आया हूं तो उन्होंने पूछा क्या दायित्व है? मैंने पूरी बात बताई। इसके बाद कहा, काम करते रहें। पद तो आनी-जानी है। आने वाला दिन तुमलोगों का है। पार्टी को मजबूत करना है क्योंकि आने वाला समय कमल का होगा..। अब वे नहीं हैं, लेकिन उनकी बात सच साबित हो रही है।