आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ा बेटियों को स्वावलंबी बना रहीं कविता...एकदम अलग है सोच
मिथिला पेंटिंग और कढ़ाई का दे रही हैं निशुल्क प्रशिक्षण आर्थिक सहयोग भी कर रहीं। प्लस टू स्कूल और कालेजों में भी बेटियों को जागरूक करने के लिए करेंगी सेमिनार। उनसे प्रशिक्षित गंगैया गांव की छात्रा रितु चौधरी का नामांकन छत्तीसगढ़ में टेक्सटाइल डिजाइनिंग कोर्स में हुआ है।
मुजफ्फरपुर, जासं। आत्मनिर्भरता के पाठ से बेटियां स्वावलंबी हो रही हैं। मिथिला पेंटिंग और कढ़ाई से सपने पूरे कर रही हैं। यह उड़ान उन्हें टेक्सटाइल्स डिजाइनिंग तक पहुंचा रही है। यह सब संभव हो रहा है मुजफ्फरपुर की रामदयालु निवासी कविता रंजन के प्रयासों से। वे बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए मिथिला पेंटिंग और सिलाई-कढ़ाई का निशुल्क प्रशिक्षण दे रही हैं। बीते एक वर्ष में कटरा प्रखंड के गंगैया गांव में 30 लड़कियों को प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बनाया है। उनके द्वारा बनाए गए उत्पाद की बिक्री से प्राप्त राशि इन बेटियों में वितरित की जाती है। इन कपड़ों की बिक्री उनके शापिंग पोर्टल से देशभर में होती है।
पढ़ाई के साथ-साथ प्रशिक्षण
एमडीडीएम कालेज से हिंदी से स्नातक कविता का शुरू से ही अपनी संस्कृति से लगाव रहा। शहर के तूलिका कला केंद्र से मिथिला पेंटिंग व सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण लिया था। वहां उनके गुरु रहे कन्हाई दास ने उनकी कला को निखारा। चार वर्ष पहले कविता ने बेटियों को इस दिशा में आगे बढ़ाने के लिए पहल की। शुरू में तो एक-दो लड़कियां ही उनसे जुड़ीं। एक वर्ष पहले गंगैया गांव के आसपास की बच्चियां उनसे जुड़ीं, जिन्हें उन्होंने प्रशिक्षित किया। स्वावलंबी बनने वाली अधिकतर इंटर से स्नातक तक की छात्राएं हैं। ये पढ़ाई भी करती हैं और उससे समय निकालकर प्रशिक्षण भी लेती हैं। मिथिला पेंटिंग व कढ़ाई के साथ ही निर्मित सामग्री की ब्रांडिंग के लिए भी युवतियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। शहर में ही कविता शीघ्र एक स्थायी ब्रांच स्थापित करेंगी। यहां छात्राओं को काम करने का मौका मिलेगा। वहीं प्रशिक्षण के साथ ही बच्चियों को आर्थिक सहायता भी की जाएगी। कविता ने इससे पूर्व सीतामढ़ी में भी सुदूर ग्रामीण इलाके में बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अभियान चलाया था। उनसे प्रशिक्षित गंगैया गांव की छात्रा रितु चौधरी का नामांकन छत्तीसगढ़ में टेक्सटाइल डिजाइनिंग कोर्स में हुआ है। गंगैया गांव की नेहा, निधि व सिद्धि का कहना है कि कविता ने उनमें आत्मविश्वास का संचार किया है।
लड़कियों को राह दिखाने की जरूरत
कविता बताती हैं कि वे प्लस टू स्कूलों और कालेजों में भी बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अभियान चलाएंगी। सेमिनार और कार्यशाला के माध्यम से उन्हें जागरूक किया जाएगा। जो लड़कियां चाहेंगी उन्हें निशुल्क प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बनाया जाएगा। देशभर में शिविर लगाकर तैयार सामग्री की बिक्री की जाएगी। उनका कहना है कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में अब भी बेटियां काफी पीछे हैं। उनमें प्रतिभा तो है, पर उन्हें राह दिखाने वाला कोई नहीं। ऐसे में इन बेटियों को आगे बढ़ाने का जिम्मा उन्होंने लिया है।