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Martyr Aman Singh: यह धरती 'अमन' की, सीने में मां भारती, आबोहवा में देशभक्ति

Martyr Aman Singh मोहिउद्दीननगर के सुल्तानपुर की मिट्टी को अपने लाल अमन की शहादत पर गर्व। सभी की आंखें नम पिता सदमे में मां-पत्नी और बहन सभी बेसुध।

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 09:32 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jun 2020 09:32 AM (IST)
Martyr Aman Singh: यह धरती 'अमन' की, सीने में मां भारती, आबोहवा में देशभक्ति

समस्तीपुर [अजय पांडेय]। गंगा का पवित्र तट और यहां की माटी में पलते-बढ़ते मां भारती के लाल। आबोहवा में देशभक्ति की खुशबू तो देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा। यह धरती है 'अमनÓ की। उस अमन की, जिसकी शहादत पर गौरवान्वित सुल्तानपुर की मिट्टी जयघोष करती है। बहादुरी और वीरता को कोटि-कोटि नमन करती है। 

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आज मेघगर्जन हो रहा, अंबर रो रहा, धरा का दामन भीग रहा। लाल की शहादत पर मां भारती का कलेजा फट रहा। आज घर-घर अमन की यादें हैं, बातें हैं, कुछ किस्से भी हैं।  

 मंगलवार की रात बजी फोन की एक घंटी ने माहौल बदल दिया है। लोग सदमे में हैं। सुधीर सिंह  के पुत्र अमन सिंह की चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में शहीद होने की सूचना मिलने के बाद से ही लोग उनके घर जमे हैं। सभी की आंखें नम हैं। पिता एक किनारे सदमे में सुबक रहे। अब तो बस बेटे को आखिरी बार देखने की लालसा। उन्हें जो समझाने जाता, खुद रो पड़ता...। 

घरों में नहीं जले चूल्हे, पसरा रहा सन्नाटा 

बुधवार की शाम बड़ी उदास थी। बच्चों की भूख गायब थी। घर में चूल्हा-चौका किसके लिये किया जाए। शाम रात में तब्दील हो गई, पर सुल्तानपुर जगा रहा। कहने को बहुत कुछ है, पर शब्दों का अभाव है, इसलिए खामोशी पसरी है। घरों से निकलतीं सिसकियां उस खामोशी को तोड़ती हैं। देर रात लोगों के बीच बैठे बेसुध पिता के पास कोई शब्द नहीं। माता रेणु देवी का विलाप आह पैदा करता है। पत्नी की वेदना और कराह भावनाओं को बेधती है। बहन-भाई की सिसकियां भावुक करती हैं। 

हमें हमारा अमन लौटा दीजिए 

हमें हमारा अमन लौटा दीजिए। आप समझते क्यों नहीं...जाइए पहले उन्हेें ले आइए....अमन की पत्नी मीनू की ये बातें माहौल को गमगीन करती हैं। पति की शहादत के बाद हर आने-जानेवालों से उनकी यही मांग होती है। हर किसी से यही पूछतीं, क्या अमन आ रहे...? एक ऐसा सवाल, जिसका जवाब किसी के पास नहीं। महज एक वर्ष पूर्व उनकी शादी हुई थी। बीते दिनों की यादें और भविष्य के बीच शून्य को निहारतीं उनकी आंखें अथाह पीड़ा को दर्शा रहीं। 


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