स्नातक पार्ट वन के 50 हजार छात्रों का रिजल्ट खराब, हो रहे बेचैन
वर्ष 2017 के स्नातक पार्ट वन का परिणाम खराब होने पर हर ओर बेचैनी। फेल और प्रमोट ने बिगाड़ा खेल, रिजल्ट का ग्राफ देख हर कोई हतप्रभ।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। पिछली तमाम परीक्षाओं की भांति स्नातक पार्ट वन-2017 का रिजल्ट भी खराब होने पर हर तरफ बेचैनी है। तकरीबन 50 हजार छात्र-छात्राएं इससे प्रभावित हैं। कोई फेल है तो कोई प्रमोट तो किसी का रिजल्ट ही पेंडिंग हो चुका है। अब सभी माथा पीट रहे। स्नातक परीक्षाओं के सर्वेसर्वा कहे जानेवाले प्रोवीसी डॉ. आरके मंडल भी खराब रिजल्ट से आहत दिखते हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि जिन मूल्यांकन केंद्रों पर रिजल्ट सबसे अधिक खराब हुआ है, उन्हें अगली बार से मूल्यांकन से वंचित किया जा सकता है।
प्रोवीसी ने माना कि रिजल्ट खराब होने की शिकायतें उन तक भी लगातार पहुंच रही हैं। काफी सारे विद्यार्थियों ने उन्हें फोन कर बताया कि वे फेल नहीं कर सकते थे, जबकि रिजल्ट खराब हो गया है। कुलपति और रजिस्ट्रार फिलहाल मुख्यालय से बाहर बताए गए हैं, जिससे इसपर कोई फैसला नहीं हो पा रहा। अधिकारी द्वय के लौटने पर इस बात की जांच होने की उम्मीद की जा सकती।
मूल्यांकन-टेबुलेशन में त्रुटि के आरोप
छात्र संगठनों का आरोप है कि मूल्यांकन से टेबुलेशन कार्य तक में मनमानी और धांधली के चलते रिजल्ट इस कदर खराब आया है। कई छात्र नेताओं का सीधा आरोप है कि टेबुलेशन में कमाई के लालच में एक परिवार से कई-कई लोग शामिल हुए हैं। एक कॉलेज के परीक्षा नियंत्रक भी टेबुलेशन में शामिल हुए तो विश्वविद्यालय के एक बड़े स्तर के पदाधिकारी भी इसमें शामिल हुए। विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष बसंत कुमार सिद्धू और एलएस कॉलेज छात्रसंघ के अध्यक्ष ठाकुर प्रिंस ने इस बात की जांच कराने की मांग की है।
मनमानी और लापरवाही से चलते रिजल्ट खराब
उधर, कॉपी जांच और टेबुलेशन करनेवाले कई शिक्षकों ने खराब रिजल्ट के लिए सीधे तौर पर विश्वविद्यालय प्रशासन और परीक्षा नियंत्रक को जिम्मेदार ठहराया है। कहा है कि जब जैसे तब तैसे की तर्ज पर और मनमाने ढंग से आनन-फानन परीक्षाएं कराई जा रही हैं। छात्रों को ठीक से न तो पढ़ाया जा रहा और न उन्हें अंकपत्र समय पर दिया जा रहा। उनके खराब रिजल्ट की चिंता भी नहीं की जा रही। रिजल्ट इसलिए पेंडिंग कराया जाता है, ताकि आगे विद्यार्थियों से वसूली की जा सके।