मुजफ्फरपुर के लोगों को पोखर-तालाब की अनदेखी भारी पड़ रही, आपके शहर में तो सब ठीक है?
पूर्वजों की दूरदर्शिता की अनदेखी के कारण पानी को तरस रहे लोग। पूर्वजों के बनाए पोखर-तालाब को भरकर हम जलसंकट को दे रहे आमंत्रण। पोखर में कचरा और गंदा पानी प्रवाहित करने वालों पर होनी चाहिए कार्रवाई ।
मुजफ्फरपुर, जासं। पूर्वजों को हमारी चिंता थी। वे पानी के महत्व को समझते थे। इसलिए वर्षा जल को संचित करने लिए पोखर-तालाब एवं जलाशयों का निर्माण कराया। पोखर-तालाब के किनारे पौधे लगाए। शहर में दर्जनभर से अधिक पोखर हमारे पूर्वजों की देन हैं। हमें पानी का संकट नहीं झेलना पड़े। इसलिए उन्होंने पोखर-तालाब बनाए, लेकिन हमने आने वाली पीढ़ी को जलसंकट का सामना नहीं करना पड़े उसके लिए कुछ नहीं किया। पूर्वजों द्वारा बनाए गए पोखर-तालाबों के अस्तित्व को समाप्त कर दिया। इससे हम तो पानी को तरस ही रहे, आने वाली पीढ़ी को गंभीर जलसंकट से जूझना पड़ेगा। हालांकि अभी देर नहीं हुई है यदि हम संभल जाएं, नए पोखर-तालाब का निर्माण न सही, पूर्वजों द्वारा बनाए गए पोखर-तालाब बचा लें तो जलसंकट से बच सकते हैं। अन्यथा पूर्वजों की दूरदर्शिता की अनदेखी हमें भारी पड़ेगी। यह बातें बुधवार को दैनिक जागरण के अभियान सहेज लो हर बूंद पर बातचीत में प्रबुद्धजनों ने कहीं।
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पोखर व तालाब वर्षा जल को संचित कर धरती की प्यास बुझाते
समाजसेवी राजीव केजरीवाल ने कहा कि पोखर व तालाब वर्षा जल को संचित कर धरती की प्यास बुझाते हैं। शहर के कई पोखर व तालाबों को नगर निगम ने कूड़ा भरकर बर्बाद कर दिया। इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। पोखर को बचाने का प्रयास किया जाना चाहिए। इसमें कचरा व गंदा पानी प्रवाहित करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। शिक्षक बलराम प्रसाद ने कहा कि जल ही जीवन है यह सब कहते हैं, लेकिन इस पर अमल नहीं करते। सब एक दूसरे को पानी बचाने की सलाह देते हैं, लेकिन स्वयं जमकर पानी की बर्बादी करते हैं। यह नहीं सोचते कि भूजल का स्तर लगातार गिरता गया तो आगे क्या होगा? हमें जमीन के नीचे संचित जल भंडार को बर्बाद होने से बचाना चाहिए।
जरूरत भर पानी का दोहन करना चाहिए। वर्षा जल को संचित करने को घर-घर सोख्ता का निर्माण किया जाए। वार्ड पार्षद सीमा कुमारी ने कहा कि सरकार जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम चला रही है। इसके तहत पोखर-तालाब को बचाने की बात कही जा रही है, लेकिन शहर में इस अभियान का कहीं असर नहीं दिख रहा है। शहर के तीन पोखरों के जीर्णोद्धार की योजना राशि रहते लंबित है। नगर निगम को पोखर के संरक्षण की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। निगम योजना बनाकर इस कार्य को कर सकता है, लेकिन इसके लिए महापौर व नगर आयुक्त को पहल करनी चाहिए। अधिवक्ता राजेश कुमार ने कहा कि पोखर-तालाब को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए। इसमें कचरा डालने वाले हों या फिर नाला का गंदा पानी बहाने वाले उनपर कानूनी कार्रवाई हो।