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Muzaffarpur Shelter home case : आसान नहीं थी सीबीआइ की राह, तथ्यों को जुटाने के लिए करनी पड़ी भागदौड़

Muzaffarpur Shelter home case 31 मई 2018 को दर्ज कराई गई प्राथमिकी में किसी को भी नहीं बनाया गया था नामजद आरोपित। 02 जून को ब्रजेश ठाकुर को किया गया था गिरफ्तार।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 08:46 AM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 08:46 AM (IST)
Muzaffarpur Shelter home case : आसान नहीं थी सीबीआइ की राह, तथ्यों को जुटाने के लिए करनी पड़ी भागदौड़

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की कोशिश टीम की ऑडिट रिपोर्ट में बालिका गृह की लड़कियों के साथ यौन हिंसा की बात कही गई थी। इस आधार पर बाल संरक्षण इकाई के तत्कालीन सहायक निदेशक दिवेश कुमार शर्मा के आवेदन पर महिला थाना में 31 मई 2018 को प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इसमें किसी को भी नामजद आरोपित नहीं बनाया गया था। पुलिस जांच शुरू हुई और दो जून को ब्रजेश ठाकुर व बालिका गृह की सात महिला कर्मचारियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

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जांच के बाद महिला थानाध्यक्ष ज्योति कुमारी ने 26 जुलाई को ब्रजेश ठाकुर सहित 10 आरोपितों के विरुद्ध मुजफ्फरपुर के विशेष पॉक्सो कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था।

जांच को सक्रिय हो गई थी सीबीआइ

वैसे तो 26 जुलाई 2018 से इस मामले की जांच को लेकर सीबीआइ सक्रिय हो गई थी, लेकिन उसने 28 जुलाई को केस दर्ज किया। लगभग 56 दिनों के बाद सीबीआइ ने अनुपूरक जांच जारी रखते हुए ब्रजेश ठाकुर सहित 21 आरोपितों के विरुद्ध 19 दिसंबर 2018 को मुजफ्फरपुर के विशेष पॉक्सो कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था। जांच के दौरान सीबीआइ की राह आसान नहीं थी। उसे इस कांड की व्यापकता की जांच करनी थी।

बालिका गृह की लड़कियों की ओर से मिली जानकारी इतनी पुष्ट नहीं थी कि सीधे-सीधे किसी को आरोपित बनाया जाए। हालांकि, जांच के दौरान एक सीबीआइ अधिकारी ने बताया था कि यह एक तरह से खुला खेल था। पुलिस जांच भी सही दिशा में चली थी।

सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक की कोर्ट ने की सराहना

दिल्ली के साकेत स्थित विशेष पॉक्सो कोर्ट के न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक अमित जिंदल की सराहना की है। अपने फैसले में उन्होंने कहा है कि विशेष लोक अभियोजक ने अपनी गहरी जानकारी के माध्यम से बेहतर तरीके से कोर्ट को सहायता की है। विशेष कोर्ट को कानूनी राय देने के लिए अधिवक्ता अपर्णा भट्ट की भी सराहना की गई है। विशेष कोर्ट के स्टोनोग्राफर शशि भूषण व प्रवीण सिंघानिया को भी सराहना का पात्र माना गया है। आरोपितों के अधिवक्ताओं की भी कोर्ट ने इस बात के लिए सराहना दी है कि मामले की सुनवाई को निर्धारित समय अवधि में पूरा कराने में उन्होंने कोर्ट को पूरी तरह सहयोग किया।  


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