Muzaffarpur Shelter Home Case: 2013 से बालिका गृह का हो रहा था संचालन, 2018 में सामने आया बच्चियों का दर्द
बालिका गृह का संचालन 2013 से हो रहा था। मगर यहां रहने वाली बच्चियों की पीड़ा 2018 में खुलकर सामने आई। इससे पूर्व शिकायत हुई मगर ब्रजेश ठाकुर के रसूख में यह दब रही थी।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Muzaffarpur Shelter Home Case सेवा संकल्प एवं विकास समिति द्वारा बालिका गृह का संचालन 2013 से हो रहा था। मगर यहां रहने वाली बच्चियों की पीड़ा 2018 में खुलकर सामने आई। इससे पूर्व बालिका गृह की अव्यवस्था एवं प्रताडऩा को लेकर कई बार शिकायत हुई, मगर ब्रजेश ठाकुर (Brajesh Thakur) के रसूख में यह दब रही थी। समाज कल्याण विभाग में 'सेवा संकल्प एवं विकास समितिÓ (Service Resolution and Development Committee) का दबदबा था। इसके संचालन में मास्टरमाइंड की भूमिका निभाने वाले व्यक्ति के रसूखदार होने की वजह से विभाग में संस्था का दबदबा रहा।
कई बार जांच की हुई लीपापोती
सूत्रों की मानें तो शिकायत पर कई बार जांच भी हुई, मगर बाद में सब लीपापोती हो गई। बालिका गृह में रहने वाली बालिकाओं की सिसकियां दब जा रही थीं। टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज, (Tata Institute of Social Sciences) मुंबई की 'कोशिशÓ ने शोषण को उजागर किया तो कार्रवाई की आस जगी। समाज कल्याण विभाग के निदेशक ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई की 'कोशिशÓ टीम द्वारा उपलब्ध कराए गए सामाजिक अंकेक्षण प्रतिवेदन (Social audit report) जिला बाल संरक्षण (District Child Protection) इकाई को उपलब्ध कराते हुए 15 दिनों के अंदर कार्रवाई करने का आदेश दिया। रिपोर्ट 26 मई को मिली। 27 को रविवार की वजह से इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
बालिकाओं को कराया गया स्थानांतरित
28 मई को बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक दिवेश कुमार शर्मा ने समाज कल्याण विभाग के निदेशक को पत्र लिख कर निष्पक्ष एवं स्वतंत्र जांच के लिए सबसे पहले यहां रह रही बालिकाओं को दूसरी जगह स्थानांतरित करने का अनुरोध किया। अनुरोध पर निदेशक ने 29 मई को पत्र जारी कर सभी बालिकाओं को मोकामा, पटना एवं मधुबनी स्थानांतरित करने का आदेश दिया। आदेश प्राप्त होते ही बालिकाओं को यहां से स्थानांतरित किया गया। उसके बाद संचालक पर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई।