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Webinar: कोविड-19 के संकट काल में ई-लर्निंग की आवश्यकता और प्रासंगिकता बढ़ी

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से हिंदी में ई-लर्निंग समस्या और समाधान विषय पर राष्ट्रीय वेबपोजियम का आयोजन। शामिल हुए देश के लगभग एक दर्जन ई-लर्निंग विशेषज्ञ।

By Murari KumarEdited By: Published: Mon, 15 Jun 2020 08:53 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 08:53 PM (IST)
Webinar: कोविड-19 के संकट काल में ई-लर्निंग की आवश्यकता और प्रासंगिकता बढ़ी

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के ङ्क्षहदी विभाग की ओर से 'हिंदी में ई-लर्निंग : समस्या और समाधानÓ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबपोजियम का आयोजन किया गया। इसमें देश के लगभग एक दर्जन ई-लर्निंग विशेषज्ञ शामिल हुए। प्रारंभ में विभागाध्यक्ष प्रो.सतीश कुमार राय ने सभी विशेषज्ञों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि कोविड-19 के वैश्विक संकट के कारण परंपरागत पठन-पाठन की व्यवस्था बाधित हो गई है।

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 जिससे ई-लर्निंग की आवश्यकता और प्रासंगिकता बढ़ गई है। ऐसे में जरूरी है कि ई-लर्निंग की समस्याओं और उनके समाधानों के विषय में विचार-विमर्श किया जाए। भारतीय भाषा केंद्र जेएनयू के प्राध्यापक एवं मूक्स ङ्क्षहदी जेएनयू के प्रधान निरीक्षक प्रो.देवशंकर नवीन ने 'ईपीजी पाठशाला एवं स्वयं मूक्स हिंदी की सामग्रीÓ विषय पर अपने व्याख्यान में कहा कि ई-लर्निंग की एक समस्या यह है कि इससे संबंधित इंटरनेट पर जो पाठ्य सामग्री उपलब्ध है, उसका बड़ा हिस्सा गलत सूचनाओं और भ्रामक संदर्भों से भरा है।

 अज्ञानी और अयोग्य लोग अपने ज्ञान की परीक्षा किए बगैर गूगल और इंटरनेट पर कूड़ा उगलने लगते हैं। इन समस्याओं के बावजूद अपने विवेक को बचाए रखते हुए हम सही और प्रामाणिक सामग्री का चुनाव कर सकते हैं। इग्नू के प्रतिकुलपति प्रो. सत्यकाम ने 'ई-ज्ञानकोश के रूप में इग्नूÓ विषय पर कहा कि दूरस्थ शिक्षा माध्यमों ने उच्च शिक्षा को बृहत्तर क्षेत्रों तक फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई है।

 एएमयू से प्रो. शंभुनाथ तिवारी ने 'ई-सामग्री निर्माण में अध्यापकों की भूमिकाÓ विषय पर कहा कि यह सही है कि क्लास-रूम टीङ्क्षचग का कोई विकल्प नहीं है, ङ्क्षकतु लॉक डाउन की वर्तमान परिस्थितियों में ई-लर्निंग की उपयोगिता नए सिरे से सामने आई है। असम विश्विद्यालय से डॉ.प्रभात कुमार मिश्र ने 'ई-सामग्री निर्माण में विश्वविद्यालयों की भूमिकाÓ विषय पर संबोधन दिया। 

विश्वविद्यालय ङ्क्षहदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.कल्याण कुमार झा ने 'दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की सामग्रीÓ विषय पर विचार व्यक्त किया। जबकि दूरदर्शन पटना के असिस्टेंट डायरेक्टर अजय कुमार ने 'ई-शिक्षा के विकास में आकाशवाणी की भूमिकाÓ विषय पर तथा दिल्ली विश्वविद्यालय से डॉ.मुन्ना पांडेय ने 'लाइफ लांग लर्निंग में ई-सामग्री निर्माण का अनुभवÓ विषय पर अपनी बात रखी। 

कार्यक्रम में आकाशवाणी, वाराणसी के हरेंद्र आजाद, बीएन मंडल विश्वविद्यालय की डॉ. कुमारी सीमा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इसमें विभाग के डॉ. सुशांत कुमार और डॉ. संध्या पांडेय सहित 115 प्रतिभागियों ने भागीदारी की। धन्यवाद-ज्ञापन डॉ.राकेश रंजन ने किया। 


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