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कोरोना संकट काल में घर लौटे प्रवासियों को अब यहीं मिल रहा रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण

मुजफ्फरपुर जिले के कृषि विज्ञान केंद्र ने बकरी पालन मशरूम उत्पादन वर्मी कंपोस्ट सब्जियों की खेती में प्रशिक्षण की व्यवस्था की है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2020 09:34 AM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2020 09:34 AM (IST)
कोरोना संकट काल में घर लौटे प्रवासियों को अब यहीं मिल रहा रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण
कोरोना संकट काल में घर लौटे प्रवासियों को अब यहीं मिल रहा रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण

मुजफ्फरपुर, [मनोज कुमार]। कोरोना संक्रमण काल के दौरान लॉकडाउन से उपजे रोजगार संकट में बाहरी प्रदेशों से बड़ी तादाद में यहां के कामगार लौट आए। इन प्रवासियों को यहीं रोजगार मुहैया कराने के लिए प्रशासनिक स्तर पर प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। मुजफ्फरपुर जिले का कृषि विज्ञान केंद्र सरैया प्रवासी कामगारों को लगातार प्रशिक्षण दे रहा है।

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गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत प्रशिक्षण

केंद्र प्रभारी अनुपमा कुमारी ने बताया कि गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत प्रवासियों को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अबतक ऐसे 245 कामगारों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। बकरी पालन, मशरूम उत्पादन, वर्मी कंपोस्ट, सब्जियों की खेती आदि क्षेत्रों में कृषि विज्ञान केंद्र प्रशिक्षण दे रहा है। यह सिलसिला अभी जारी है।

38 प्रवासियों को मिला बकरी पालन का प्रशिक्षण

38 प्रवासियों ने बकरी पालन में रुचि दिखाई, जिसपर उन्हें इसका प्रशिक्षण दिया गया है। सफल प्रशिक्षण के उपरांत इन प्रशिक्षणार्थियों को वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ. अनुपमा कुमारी द्वारा प्रमाण पत्र भी दिया गया। डॉ. अनुपमा ने बताया कि बकरी पालन कम लागत तथा कम जगह में भूमिहीन सीमांत तथा लघु किसानों द्वारा आसानी से किया जा सकने वाला व्यवसाय है। उन्होंने कहा कि बकरी पालन कोई नया विषय नहीं है, परन्तु इसे वैज्ञानिक तरीके से समझकर अपनाने से काफी लाभ होगा। बकरी के दूध का काफी औषधीय महत्व भी है। इसका दूध डेंगू के उपचार में भी संजीवनी की तरह काम करता है। इस दूध का व्यवसाय कर अच्छी कमाई बकरी पालक कर सकते हैं।

मशीनों की देखभाल और रख-रखाव का प्रशिक्षण

योजना के तहत मशीनों की देखभाल और रख-रखाव का प्रशिक्षण भी शुरू किया गया है। प्रशिक्षक डॉ. तरुण कुमार ने प्रशिक्षण के दौरान बताया कि फसल की बेहतर पैदावार पाने के लिए कृषि यंत्रों को भरपूर उपयोग करें। अब तो भूमि की जुताई से लेकर फसल की कटाई तक का काम कृषि यंत्रों से ही किया जा रहा है। रोटावेटर, हैप्पी सीडर, जीेरो टिलेज, रोटो सीड ड्रिल, स्ट्रा रीपर, निकाई-गुड़ाई के स्वचालित यंत्र, लेजर लैंड लेवलर, स्वचालित तथा ट्रैक्टर चालित छिड़काव का यंत्र किसानों के लिए काफी मददगार साबित हो रहे हैं। इन यंत्रों पर किसानों का काफी खर्च होता है। ऐसे में इनकी देखभाल बेहद आवश्यक है। इससे इनकी कार्यक्षमता भी बढ़ जाती है।

तथा व्यावसायिक रूप से उपयोग कर आमदनी को भी बढ़ा सकते हैं। डॉ. अनुपमा कुमारी ने बताया कि लेजर लैंड लेवलर से भूमि समतल की जाती है। क्योंकि बेहतर खेती के लिए समतल भूमि ही बेहतर है।

इसी तरह जीरो टिलेज ड्रिल का निर्माण खेती की लागत को घटाने के लिए किया गया है। इससे बिना खेतों की जुताई किए फसलों की बोआई की जाती है।

तीन दिवसीय प्रशिक्षण के सात आयोजन

गरीब कल्याण रोजगार अभियान के अन्तर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र ने अभी तक मशरूम, वर्मी कंपोस्ट, मशीनों की देखभाल आदि पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण के सात आयोजन किए हैं। प्रशिक्षण के बाद इन कामगारों को प्रमाण पत्र भी दिया गया है। इससे रोजगार पाने में इन्हें मदद मिलेगी। 


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