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स्नान और दान का पुण्यपर्व,जानिए क्या है इसका महत्व

ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है। कहते हैं कि इसी दिन हस्त नक्षत्र में मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। इस बार यह 24 मई, गुरुवार को पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 May 2018 11:29 AM (IST)Updated: Wed, 23 May 2018 11:29 AM (IST)
स्नान और दान का पुण्यपर्व,जानिए क्या है इसका महत्व
स्नान और दान का पुण्यपर्व,जानिए क्या है इसका महत्व

मुजफ्फरपुर। ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है। कहते हैं कि इसी दिन हस्त नक्षत्र में मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। इस बार यह 24 मई, गुरुवार को पड़ रहा है। शास्त्रों मे इस दिन गंगा स्नान व दान का विशेष महत्व बताया गया है। साथ ही इस दिन गंगा की विशेष पूजा-अर्चना और भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है। बाबा गरीबनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पं.विनय पाठक बताते हैं कि इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के दस तरह के पाप दूर हो जाते हैं। इन दस तरह के पापों में तीन कायिक, चार वाचिक और तीन मानसिक पाप होते हैं। इस साल ज्येष्ठ मास में अधिकमास है, इसलिए अधिकमास के शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाएगा। शास्त्रों के मुताबिक, जिस वर्ष अधिकमास हो तो उस वर्ष अधिकमास में ही गंगा दशहरा माना जाता है न कि शुद्ध मास में।

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सदर अस्पताल स्थित मां सिद्धेश्वरी दुर्गा मंदिर के पुजारी पं.देवचंद्र झा बताते हैं कि इस दिन गंगा नदी या निकट के किसी पवित्र जलाशय में मां गंगा का स्मरण कर स्नान और पूजन करने की परंपरा है। स्नान करते समय 'ऊं नम: शिवाय नारायण्यै दशहरायै गंगायै नम:' का जप करना चाहिए।

गंगा का नाम लेने मात्र

से ही दूर हो जाते पाप

आचार्य रंजीत नारायण तिवारी बताते हैं कि विष्णु पुराण में गंगा को कलियुग का प्रधान तीर्थ कहा गया है। कहा गया है कि इसका नाम लेने, सुनने, उसके दर्शन, उसका जल ग्रहण करने, छूने और उसमें स्नान करने से मनुष्य के कई पाप दूर हो जाते हैं। गंगा का दर्शन मात्र ही मोक्ष देने वाला है। यह हमारे पुरखों को तारती हैं। इस वर्ष इसकी महिमा इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि अभी पुरुषोत्तम (मलमास) माह भी चल रहा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सूर्य की वृष और चंद्रमा की कन्या राशि में गंगा का हिमालय से निर्गमन हुआ था। ग्रंथों में लिखा है कि रोज गंगाजल पीने वाले व्यक्ति के पुण्य की गणना नहीं हो सकती। घरों में गंगाजल का उपयोग पूजा आदि कामों के लिए होता है।


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