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Bihar flood news : घर का चूल्हा पड़ गया ठंडा, भूख से बिलख रहे बच्चे, प्रशासनिक अधिकारी बता रहे ऑल इज वेल

Bihar flood news बाढ़ व कटाव के भय से घर छोड़ जाने की बनी मजबूरी।बचाव के लिए नहीं आया कोई अधिकारी मुश्किल में कट रही जिंदगी। अचानक आई बाढ़ व कटाव ने बाढ़ पीडि़तों का सब कुछ छीन लिया। कई लोग घर से बेघर हो गए।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 10:49 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 10:49 PM (IST)
प्रशासन की अनदेखी से इन पीडि़तों की परेशानी दूर नहीं हो सकी।

पूर्वी चंपारण, जेएनएन। Bihar flood news : रात भर जगा रहता हूं बाबू, न जाने कब सिकरहना नदी की तेज धारा घर को अपने आगोश में ले। बाढ़ के पानी से कही आने-जाने में भारी परेशानी हो रही है। दक्षिणी मनङ्क्षसघा के मल्लाह टोली, रौशनपुर, सपहा, लक्ष्मीपुर कोना गांव के नेमीलाल सहनी बाढ़ से हुई परेशानी के बारे में बता रहे थे। अपने घर के समान को हटाते हुए रामायण ने कहा कि बाढ़ व कटाव हमनी के बर्बाद कर देलख ,केहू तरे लइका लोग के जियाके रखले बानी। माने अब हमारा लगे कुछो खाएं के ना रह गइल बा, ना रहे के घर। बाबू लोग भूख प्यास से तरस ता। अब दूसरा जघे से ई बाबू लोग ला खाए पिये के व्यवस्था करे ला नाव से जा तानी। बच्चे की की परेशानी को देख अपने आंखों में आंसू लिए गंतव्य स्थान की ओर चल दिए। तभी दूसरी ओर मकान की समान हटा रही ने कहा कि गांव के कल खराब हो गई बा, लइका लोग भूख प्यास के मारे मर ता, का करी दोसरा जघे से कुछ लेआवे जा तानी। ई बाढ़ आ कटाव त सब कुछ छिनिए लेलख, अब केहू तरे बाबू लोग के जान बचावल जाव।

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हकीकत कुछ और है सरकार

गांव के मैनेजर सहनी, ललन साह, दुखी प्रसाद, शेख जमादार,ईलायत मियां, मु लक्ष्मीनिया, शेख अब्बास,साहब मियां ने बताया कि बाढ़ व कटाव के समय हमलोगों को कोई देखने तक कोई भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि नहीं आया। ऊपर वाले का शुक्र है कि किसी तरह हमलोगों की जान बच गई। घर में रखा सारा सामान खत्म हो गया है, पर अब तक किसी तरह की सहायता सरकार द्वारा नहीं दी गई है।

खत्म नहीं हो रही पीडि़तों की परेशानी

अचानक आई बाढ़ व कटाव ने बाढ़ पीडि़तों का सब कुछ छीन लिया। कई लोग घर से बेघर हो गए। किसी तरह अपनी जान को बचाया, लेकिन प्रशासन की अनदेखी से इन पीडि़तों की परेशानी दूर नहीं हो सकी।

सैलाब का सितम जारी

बाढ़ व कटाव का दंश रहे लोगों को अब इन्हें अपने रहने व खाने की चिंता सता रही है। आने जाने का एक मात्र साधन नाव ही है। बीमार पड़ रहे लोगो का इलाज कराना इनके लिए बढ़ी मुसीबत बन गई है। तिनका तिनका जोड़कर बनाएं आशियाना खत्म हो गया।अब तो खुले आसमान में रहने को विवश है।  


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