आंगनबाड़ी केंद्रों की सेहत कागज पर बेहतर और धरातल पर हाल खस्ता Muzaffarpur News
Anganwadi center तंग कमरों व बरामदों पर हो रहा संचालन। पोषाहार में जमकर लूट-खसोट जांच में चलता खेल।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। आंगनबाड़ी केंद्रों की सेहत कागज पर बेहतर, धरातल पर खस्ता है। सरकार भले ही बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए लाखों रुपये खर्च कर रही हो, बाल विकास परियोजना से जुड़े अधिकारियों कर्मियों एवं एवं सेविका-सहायिका के वेतन-मानदेय पर करोड़ों खर्च कर रही हो, मगर भ्रष्टाचार सिस्टम को निगल रहा है।
कागज पर बच्चों का नामांकन चाहे जो हो मगर अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चे नदारद ही रहते हैं। गर्भवती एवं धातृ महिलाओं को पौष्टिक आहार देने के नाम पर भी काफी धन खर्च हो रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर बरती जा रही गड़बड़ी का स्थानीय लोगों द्वारा विरोध भी किया जाता है, मगर नतीजा सिफर। विडंबना यह कि अधिकतर महिला सुपरवाइजर एवं सीडीपीओ की जांच में 'ऑल इज वेलÓ दिखा दिया जाता है। स्थानीय लोगों की मानें तो पोषाहार एवं टीएचआर की राशि में बंटावारा सिस्टम चलता है।
रजिस्टर पर 28 बच्चे, उपस्थित मिले 12
आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 291 माई स्थान बहलखाना में चल रहा है। यह केंद्र एक छोटे से कमरे में संचालित हो रहा है। सेविका ज्योति कुमारी व सहायिका संजू कुमारी मौजूद मिलीं। रजिस्टर पर 28 बच्चे नामांकित हैं, मगर यहां 12 बच्चे मौजूद थे। पूछने पर बताया गया कि ठंड की वजह से आज बच्चे कम आए हैं।
पोषाहार में बच्चों को खिचड़ी दी गई। पोषाहार बनाने की व्यवस्था ठीक नहीं है। जगह की कमी से जैसे-तैसे संचालन हो रहा है। चकमोअज्जम मोहल्ला स्थित केंद्र संख्या 127 का संचालन बरामदे पर हो रहा है। सेविका शकीला बानो मौजूद थीं। यहां रजिस्टर पर 27 बच्चों का नाामांकन है।
मगर 17 बच्चे उपस्थित थे। बच्चों के पेयजल व शौचालय की व्यवस्था बेहतर नहीं है। केंद्र संख्या 128 का संचालन महाराजी पोखर में हो रहा है। सेविका सुशीला देवी मौजूद थींं। रजिस्टर पर 27 बच्चों का नामांकन है। मगर केंद्र पर 11 बच्चे मौजूद थे। यहां भी जगह की कमी से नियमों को अनदेखी की जा रही थी।
बच्चों के लिए निर्धरित पोषाहार
सोमवार : खिचड़ी
मंगलवार : पुलाव
बुधवार : खिचड़ी, दूध
गुरुवार : हलवा
शुक्रवार : रसियाव, अंडा
शनिवार : खिचड़ी
टेक होम राशन (हर महीने)
- छह माह से तीन वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को ढाई किलो चावल व सवा किलो दाल।
- अतिकुपोषित को तीन किलो 750 ग्राम चावल व एक किलो 750 दाल।
- गर्भवती व धातृ महिला को साढ़े तीन किलो चावल व डेढ़ किलो दाल।
- गर्भवती व प्रसूता महिलाओं में अंडा खाने वाली को सात अंडे मिलने का प्रावधान है।
- अंडा नहीं खाने वाली को सोयाबड़ी मिलेगी।
- छह माह से तीन साल के बच्चे जो अंडा खाते हैं, उन्हें हर महीना आठ अंडे देना है।
- अंडा नहीं खाने वाले बच्चों को सोयाबड़ी मिलेगी।
पोषाहर पर खर्च
-छह से 72 माह के बच्चे के लिए आठ रुपये प्रत्येक दिन।
-अतिकुपोषित छह से 72 माह के बच्चे के लिए 10 रुपये।
-गर्भवती व धातृ महिलाओं के लिए नौ रुपये।