Move to Jagran APP

उत्तर बिहार के सभी जिले कमोबेश बाढग्रस्त, नदियों पर बनते-टूटते बांधों की धरातल इस बार चुनावी

बरसात में उफनातीं नदियों की लहरों के साथ चुनावी मुद्दे उफान पर हैं। बनते-टूटते बांधों की धरातल इस बार चुनावी है इसलिए जनता भी वादों की गहराई मापने को तैयार है।

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 17 Jul 2020 09:17 AM (IST)Updated: Fri, 17 Jul 2020 09:17 AM (IST)
उत्तर बिहार के सभी जिले कमोबेश बाढग्रस्त, नदियों पर बनते-टूटते बांधों की धरातल इस बार चुनावी
उत्तर बिहार के सभी जिले कमोबेश बाढग्रस्त, नदियों पर बनते-टूटते बांधों की धरातल इस बार चुनावी

मुजफ्फरपुर [अजय पांडेय]। बरसात में उफनातीं नदियों की लहरों के साथ चुनावी मुद्दे उफान पर हैं। बढ़ते जलस्तर, दरकते तटबंध और इससे निपटने की बंदोबस्ती हर साल कुछ सवाल और लोगों में निराशा छोड़ जाती है। उत्तर बिहार के सभी जिले कमोबेश बाढग़्रस्त हैं। यहां के लोग साल के दो से तीन महीने बाढ़ की विभीषिका झेलते हैं। बनते-टूटते बांधों की धरातल इस बार चुनावी है, इसलिए जनता भी वादों की गहराई मापने को तैयार है। 

loksabha election banner

 उत्तर बिहार में गंगा, गंडक, बागमती, कोसी, करेह, धौंस, लखनदेई, कमला-बलान समेत पहाड़ी और अधवारा समूह की नदियों का प्रवाह है। इनके बहाव क्षेत्र की बड़ी आबादी बाढ़ और कटान का दंश झेलती है। पुल-पुलिया समेत विस्थापन बड़ी चुनौती होती है। बेतिया के अवधेश लाल कहते हैं कि चुनावों में वादों के बने पुल बरसात में तैरते नजर आते हैं।

दब जाती बाढ़ विस्थापितों की पीड़ा

सीतामढ़ी और शिवहर के अधिकांश क्षेत्र बाढग़्रस्त हैं। उफनाती गंडक और बेचैन लखनदेई हर साल बर्बादी का जख्म दे जाती है। रेलवे ट्रैक किनारे विस्थापित जीवन जी रहे सीतामढ़ी के रामकुबेर, बसावन, रामसुभग और इन जैसे सैकड़ों की यही पीड़ा है। कहते हैं चुनावों में कई बातें होती ही हैं, ...हकीकत आप देख ही रहे हैं।

 समस्तीपुर के शंकर लाल शर्मा कहते हैं कि नदियां हर साल कहर बरपाती हैं। विधायक से लेकर मंत्री तक, हर कोई स्थिति से वाकिफ होता है, पर होता क्या है? बरसात देख तटबंधों की मरम्मत होती...। सैंड बैग में मिट्टी भर दिया जाता है। नदियों का जलस्तर बढ़ते ही तटबंधों में दरारें झांकने लगती हैं। मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और दरभंगा की सीमा पर बागमती पर पुल बनाने की मांग वर्षों पुरानी है। इस बार भी चुनाव में यह मुद्दा बनेगा। 

नहीं मिली चचरी पुल से मुक्ति

कई जिलों में संपर्क पथ के नाम पर आज भी चचरी पुल का ही सहारा है। चुनाव चाहे लोकसभा का हो या विधानसभा का, चचरी की जगह पक्का पुल, बांध और बाढग़्रस्त इलाकों के विस्थापितों के लिए स्थायी आवास की मांग जरूर उठती है। इस बार भी परिस्थितियां अलग नहीं हैं।

मंत्री का दावा, जिलों में पुल व सड़कों का हो रहा निर्माण

सरकार के योजना एवं विकास मंत्री और समस्तीपुर के कल्याणपुर विधायक महेश्वर हजारी का कहना है कि कुशेश्वरस्थान से खगडिय़ा जाने के रास्ते में कोसी नदी पर फूलतोड़ाघाट में पुल सह सड़क का निर्माण हो रहा है। समस्तीपुर में बागमती नदी पर नामापुर घाट में पुल की स्वीकृति दी गई है। तिनमुहानी घाट पर भी बागमती में पुल की स्वीकृति दी गई है। गांवों में विद्युतीकरण हो गया है। तार एवं पोल को ऊंचा व बदलने का कार्य प्रारंभ है। हायाघाट में करेह नदी पर विलासपुर घाट में पुल निर्माण की स्वीकृति दी गई है। ये योजनाएं चुनाव देखकर नहीं बनी हैं, सरकार विकास के कार्य में जुटी है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.