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Lockdown : कोटा में साथ-साथ चल रहा कोरोना का भय ट्रेन खुलने के साथ ही पीछे छूटता चला गया

Lockdown आसपास पसरा था कोरोना। दहशत के साए में थी जिंदगी। पूजा व स्वजन से वीडियो कॉलिंग पर कट रहा था लॉकडाउन का समय।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 13 May 2020 12:27 PM (IST)Updated: Wed, 13 May 2020 12:27 PM (IST)
Lockdown : कोटा में साथ-साथ चल रहा कोरोना का भय ट्रेन खुलने के साथ ही पीछे छूटता चला गया
Lockdown : कोटा में साथ-साथ चल रहा कोरोना का भय ट्रेन खुलने के साथ ही पीछे छूटता चला गया

समस्तीपुर, जेएनएन। आसपास पसरा हुआ था कोरोना, हर हमेशा बनी रहती थी संक्रमण की आशंका। भय और दहशत के बीच पूजा और माता-पिता से नियमित वीडियो कॉलिंग ही सहारा था। घर से हजारों किलोमीटर दूर राजस्थान के कोटा से घर लौटे छात्र-छात्राओं के चेहरे पर भय और दहशत स्पष्ट रूप से झलक रहा था। प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में बस से उतरने के पश्चात वहां इंतजार कर रहे स्वजन को देख कई बच्चों की आंखें डबडबा गईं तो कई अपने आप को रोक नहीं पाए और फफक पड़े। करोना संक्रमण के बीच लॉकडाउन के दौरान अपनी आपबीती सुनाते हुए अधिकांश बच्चे अपने-अपने मकान मालिक या हॉस्टल इंचार्ज की मानवता की सराहना अवश्य कर रहे थे।

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मम्मी-पापा करते रहे बूस्टअप

प्रखंड के महुली की रहनेवाली दो बहनों ने अपने मकान मालिक द्वारा भरसक ख्याल रखने की बात कही। लेकिन, कोरोना का दहशत तथा लॉकडाउन के दौरान कभी-कभी भोजन तक में हुई परेशानी का जिक्र करते हुए कहीं, ट्रेन और प्लेन बंद होने के बाद समझ में नहीं आ रहा था, कैसे पहुंचेंगे घर। हालांकि, हर दिन मम्मी-पापा हमलोगों को बूस्ट अप करते रहते थे। बावजूद, शुरू में तो कई रात बगैर नींद के ही कट गई।

भूख और नींद दोनों उड़ गई

कोटा के महावीर नगर में रह रही बड़ी बहन मेडिकल तथा छोटी अभियंत्रण की तैयारी कर रही थी। वहीं मेडिकल की तैयारी कर रहा एरौत का एक छात्र ने भी हर हमेशा कोरोना की आशंका और दहशत बना रहना बताया। कहा, लॉकडाउन के बाद से ही भूख और नींद दोनों उड़ गई थी। पढ़ाई में भी मन नहीं लग रहा था। जब सरकार ने घर वापस लाने की घोषणा की तो खुशी का ठिकाना ना रहा। राजीव नगर में रह रहे एक छात्र ने भी अपने मकान मालिक द्वारा पूरा ख्याल रखने की बात कही।

बाहर का खाना देख लगता था संक्रमण का डर

कुन्हारी में रहकर एलन में ही मेडिकल की तैयारी कर रही भिरहा की एक छात्रा ने डबडबाई आंखों से आपबीती सुनाई। बोली जब तक हॉस्टल के मेस में खाना बनता रहा, तब तक डर और आशंका के बीच भोजन ठीक-ठाक चलता रहा। लेकिन कुछ दिनों के बाद जब खाना बाहर से आने लगा तो कोरोना संक्रमण के कारण खाना खाने में भी डर लगता था। इसके अलावा शहर एवं विभिन्न गांवों के अन्य छात्र-छात्राओं ने भी दहशत में कटे लॉकडाउन के समय को बताते हुए अपने घर पहुंचते ही राहत की सांस ले रहे थे।

घर पहुंचने की आशा पूरी

वहीं, सभी ने कोटा से रोसड़ा तक की अपनी सफर को भी खुशनुमा बताया। कहा घर पहुंचने की आश पूरी हो गई। कोटा स्टेशन पर रात्रि के नौ बजे ट्रेन खुलने से पूर्व एलेन इंस्टीट््यूट द्वारा सभी बच्चों को नाश्ता का पैकेट और पर्याप्त पानी का बोतल दिया गया। तत्पश्चात स्क्रीनिंग कर बैठाया गया। रास्ते में दूसरे दिन भोजन में चावल फ्राई देने की बात कही। कई बच्चों ने बोगी में ही घोषणा पत्र भरवाने की भी जानकारी दी।


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