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रामपुर CRPF कैंप पर हमले में फांसी की सजा पाए आतंकी के पिता ने कहा- कष्ट तो है पर देशद्रोही पुत्र मंजूर नहीं

परिजनों में मायूसी देशद्रोह के आरोप के कारण घर वालों ने नहीं की पैरवी। लिया था फैसला बरी होगा तभी घर में मिलेगी जगह।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 01:48 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 04:24 PM (IST)
रामपुर CRPF कैंप पर हमले में फांसी की सजा पाए आतंकी के पिता ने कहा- कष्ट तो है पर देशद्रोही पुत्र मंजूर नहीं
रामपुर CRPF कैंप पर हमले में फांसी की सजा पाए आतंकी के पिता ने कहा- कष्ट तो है पर देशद्रोही पुत्र मंजूर नहीं

मधुबनी, जेएनएन।  उत्तर प्रदेश के रामपुर सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर आतंकी हमले में तृतीय अपर जिला सत्र न्यायधीश संजय कुमार की अदालत ने शनिवार को सभी दोषियों को सजा सुनाई। चार को फांसी, एक को उम्रकैद व एक को दस वर्ष कैद की सजा दी गई। फांसी की सजा पाने वालों में मधुबनी के रहिका प्रखंड के सकरी थानान्तर्गत सनौर पंचायत के गंधवारी गांव में मो. शब्बीर अहमद का बड़ा पुत्र मो. सबाउद्दीन भी शामिल है। सबाउद्दीन के पिता शब्बीर अहमद मायूस हो कहते हैं कि बेटे को फांसी की सजा का कष्ट तो है पर देशद्रोही पुत्र मंजूर नहीं है।

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शब्‍बीर अहमद ने क‍हा कि जब पहली बार मालूम हुआ की सबाउद्दीन आतंकी हमलों का दोषी है तो सबों को बहुत दुख हुआ। मगर, उन्होंने उसी समय निर्णय ले लिया था कि वे कभी उससे मिलने नहीं जाएंगे। उसके लिए कहीं कोई पैरवी या मुकदमा में बचाव नहीं करेंगे। उसी समय तय किया था कि यदि वह निर्दोष साबित होकर बरी होकर वापस आएगा तभी बेटा कहलाएगा। वरना देशद्रोही से कोई मतलब नहीं रखना है।

शब्‍बीर अहमद अपने इस वचन का पालन आज भी कर रहे हैं। इसलिए वे अबतक एकबार भी उससे मिलने नहीं गए हैं। आंखों में आंसू लिए कहते हैं, लगता था कि वह निर्दोष है। बरी होकर वापस आएगा । मगर, वह दोषी पाया गया है। उसे फांसी की सजा मिली है।

यह खबर सुनने के बाद से ही परिवार के लोग सदमे में हैं। सबाउद्दीन की मां बेटे की खबर सुनने के बाद से ही बेसुध सी है। वहीं बीमार पिता उदास व मायूस घर में बैठे हैं। दोनों बहनों की शादी हो चुकी है। वे ससुराल में हैं। दोनों छोटा भाई पढ़ाई खत्म कर दूसरे शहर में नौकरी कर रहा है। घर पर वृद्ध माता-पिता ही हैं।

मुखिया अशोक राम व ग्रामीण विमल कुमार ठाकुर, मो. कमरे आलम व मो. गन्नी समेत अन्य कहते हैं, एक अच्छे परिवार का युवक इस तरह की घटना को अंजाम देगा हम सोच भी नहीं सकते थे। उक्त घटना के कारण हमारे गांव समाज की बदनामी हुई है। इस तरह की सोच वाले युवाओं के लिए इस समाज में कोई जगह नहीं है। हर कोई चाहता है की उसके गांव समाज का देश में नाम हो। उसके अच्छे काम के लिए। मगर,  जिस समाज में सबाउद्दीन जैसे युवक रहेगें उसको बदनामी ही मिलती है। आज पूरा गांव उक्त घटना से शर्मसार है ।

कौन है सबाउद्दीन 

शब्बीर अहमद बीए एलएलबी करने के बावजूद अपने पुस्तैनी जमीन पर खेतीबारी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते रहे हैं। वे वर्ष 2001 से नियमित रूप से पंचायत समिति सदस्य हैं । शब्बीर अहमद को तीन पुत्र व दो पुत्रीयों में मो. सबाउद्दीन सबसे बड़ा बेटा है । परिजनों की मानें तो बचपन से सबाउद्दीन काफी शांत स्वभाव का था। उसने मौसी के यहां कमतौल में रहकर 10वीं की पढ़ाई की थी। इसके बाद वह दरभंगा मिल्लत कॉलेज में इंटर में नामांकन करवाया। लेकिन, इसी दरम्यान वह अलीगढ़ पढऩे चला गया। वहां पढ़ाई में सफल नहीं होने पर गांव आया और अपने दो अन्य साथियों के साथ बंगलूर काम के साथ पढ़ाई भी करने का बहाना बनाकर वर्ष 2005-06  में चला गया । इसके बाद से उसका संपर्क अपने पिता से नहीं रहा। इसी दरम्यान उसका संपर्क गलत लोगों से हो गया । उसके पिता को इन सब बातों की जानकारी तब हुई जब वह पकड़ा गया और पुलिस पुछताछ के लिए उसके पैतृक घर पहुंची।

यह है घटना

उत्तर प्रदेश के रामपुर स्थित सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर 31 दिसंबर 2007 की रात ढाई बजे आतंकियों ने हमला कर दिया था। आतंकी सेंटर के गेट नंबर एक जो दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर है से घुसे थे। आतंकियों ने गेट पर मौजूद जवानों पर गोलियां बरसाईं और हैंड ग्रेनेड भी फेंके थे । इसके बाद एके-47 से गोलियां बरसाते हुए काफी अंदर तक घुस आए थे । इस हमले में सीआरपीएफ के सात जवान शहीद हो गए थे। गेट के बाहर एक रिक्शा चालक की भी मौत हो गई थी। पुलिस ने हमले के आरोप में आठ लोगों को 10 फरवरी 2008 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।


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