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Happy Friendship Day: दोस्ती ऐसी कि दिल में रच बस गई, पद व पैसा नहीं आया आड़े; पढ़ें इनके 50 वर्षों का अनोखा याराना

दोस्ती की मिसाल हैं गोवा की पूर्व राज्यपाल डॉ. मृदुला सिन्हा व बीआरएबीयू में भौतिकी की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. तारण राय। पिछले 50 वर्षों से सभी सुख व दुख की घड़ी में रही सहभागिता।

By Murari KumarEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 04:52 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 04:52 PM (IST)
Happy Friendship Day: दोस्ती ऐसी कि दिल में रच बस गई, पद व पैसा नहीं आया आड़े; पढ़ें इनके 50 वर्षों का अनोखा याराना
Happy Friendship Day: दोस्ती ऐसी कि दिल में रच बस गई, पद व पैसा नहीं आया आड़े; पढ़ें इनके 50 वर्षों का अनोखा याराना

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। यह पिछले 50 वर्षों का संबंध है। एक दिन क्या एक क्षण भी इसमें स्वार्थ, पद या पैसा आड़े नहीं आया। सुख या दुख की सभी घड़ी में साझेदारी। केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष या गोवा की राज्यपाल के पद तक पहुंचने के बाद भी इतने लंबे समय का संबंध याद रहा। एक ओर जहां खून का रिश्ता भी स्वार्थ से अछूता नहीं रह पाता, दोस्ती पर यह कभी हावी नहीं हुआ।Ó गोवा की पूर्व राज्यपाल डॉ. मृदुला सिन्हा के साथ पांच दशक के संबंध को लेकर बीआरए बिहार विवि के पीजी भौतिक विभागाध्यक्ष पद से शुक्रवार को सेवानिवृत्त डॉ.तारण राय ये बातें कहते हुए भावुक हो जाती हैं। कहती हैं, दोस्ती के संबंध को एक अभिभावक बनकर डॉ.मृदुला सिन्हा ने निभाया। बड़ा पद पाने के बाद अमूमन लोग बचपन के रिश्ते को भूल जाते हैं। नए रिश्ते बनते जाते हैं।

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 ये वे दो चेहरे हैं जिनकी दोस्ती की मिसाल दी जाती है। गोवा की राज्यपाल बनने के बाद डॉ. मृदुला सिन्हा जब भी मुजफ्फरपुर आईं डॉ. तारण राय के घर जाना नहीं भूलीं। राज्य सरकार की विशिष्ट अतिथि रहते हुए भी गन्नीपुर की गली उन्हें अधिक पसंद आई। इसी गली में उनका भी मकान है।

 डॉ. तारण राय कहती हैं, दरअसल डॉ.सिन्हा उनकी दीदी के साथ एमडीडीएम में पढ़ती थीं। उनके यहां आना-जाना रहता था। यहीं से रिश्ता प्रगाढ़ होता गया। कभी लगा नहीं कि दो घर है। पति डॉ. राम कृपाल सिन्हा के मोरारजी देसाई के नेतृत्व में 1977 की जनता पार्टी सरकार में श्रम तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री बनने के बाद वह दिल्ली चली गईं। तब मोबाइल नहीं था कि हमेशा बात हो। मगर, दिल में यह रिश्ता रच बस गया था।

 एक वाकये को याद करते हुए कहती हैं, अटल बिहार वाजपेयी की सरकार में डॉ. मृदुला सिन्हा समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष बनीं। उन्होंने फोन से जानकारी दी, तारण तुम बोर्ड की सदस्य बनी हो। साथ ही प्लेन का टिकट भी भिजवा दिया। पहली बार प्लेन से दिल्ली जा रही थीं। मन में डर था। वह इस बात को जानती थीं। इस कारण जब तक दिल्ली नहीं पहुंच गई वह बेचैन रहीं। उन्होंने खुद के बड़े पद पर पहुंचने का कभी अहसास नहीं होने दिया। जीवन में जब भी कोई निर्णय लेने का समय आया तो वह मौजूद रहीं। यही कारण है कि इतने लंबे समय के बाद भी रिश्ते की ताजगी कायम है। यह दोस्ती ताउम्र बनी रहेगी। क्योंकि यह निष्छल है। निस्वार्थ है। वह कहती हैं, दोस्ती में सभी रिश्तों का समावेश है। बस यह सच्ची होनी चाहिए। 


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