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सवर्णों को आरक्षण देने के फैसले से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मिलेगा लाभ

केंद्र के फैसले का शहर के बुद्धिजीवियों ने किया स्वागत। कहा- सरकार के इस फैसले से रोजगार व शिक्षा के क्षेत्र में गरीब सवर्णों को मिलेगा मौका।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 11:40 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 11:40 PM (IST)
सवर्णों को आरक्षण देने के फैसले से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मिलेगा लाभ
सवर्णों को आरक्षण देने के फैसले से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मिलेगा लाभ

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण वर्ग के लोगों को 10 फीसद आरक्षण देने के केंद्रीय कैबिनेट के फैसले का शहर के बुद्धिजीवियों ने स्वागत किया है। कहा- इससे सबको आगे बढऩे का मौका मिलेगा। रोजगार एवं शिक्षा के क्षेत्र में अवसर प्राप्त होगा।

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  गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के हिमायती लंगट सिंह कॉलेज के प्राचार्य प्रो. ओमप्रकाश राय ने कहा कि आरक्षण फीसद और अधिक होना चाहिए था। गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों का नए सिरे से सर्वेक्षण होना चाहिए, ताकि उनकी वास्तविक आर्थिक स्थिति सामने आ सके। आर्थिक स्तर पर पिछड़े जीवन-स्तर ऊंचा उठने पर ही सबका साथ सबका विकास संभव है। हर व्यक्ति का धर्म है कि जो नीचे हैं उनको उपर लाने का प्रयास किया जाए। ऐसी ही सोच होनी चाहिए।

  राज्य सवर्ण आयोग के सदस्य रह चुके पूर्व कुलपति डॉ. रिपुसूदन श्रीवास्तव ने कहा कि पहली बार मैंने सवर्ण वर्ग को सुविधाएं देने का प्रस्ताव सरकार को दिया था। सवर्ण समाज के लोगों को भी आरक्षण का लाभ मिले। उन्होंने इसकी मांग की थी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि वह राज्य सवर्ण आयोग की अनुशंसा की फाइल मांगे। एक एनजीओ के माध्यम से राज्य में सवर्णों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर सर्वे कराया गया था। उसके अनुसार राज्य में 33.7 फीसद लोग बीपीएल श्रेणी के हैं। इसी सर्वे के आधार पर आयोग ने आरक्षण की अनुशंसा की थी। हालांकि आयोग ने आरक्षण का नाम नहीं बल्कि सवर्ण वर्ग को सुविधाएं देने की बात थी। उन्होंने कहा कि सभी को सरकार के इस फैसले का स्वागत करना चाहिए। इसके नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।

  वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. संजय पंकज ने कहा कि सरकार का यह निर्णय बहुत पहले होना चाहिए था। यहां एक बात यह महत्वपूर्ण है कि आर्थिक आधार ही हर वर्ग का मानक हो। वैसे आरक्षण शब्द के बजाय शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार का अधिकार संविधान में शामिल करना ज्यादा महत्वपूर्ण है।

   एमडीडीएम की हिंदी विभाग की प्रोफेसर डॉ. पूनम सिंह ने कहा कि आरक्षण सुविधा की समीक्षा की जाए। यह हर जाति में क्रीमी लेयर को छोड़कर गरीब वर्ग के लोगों के लिए होना चाहिए। तभी सामाजिक विषमता दूर हो सकेगी। डॉ. रश्मिरेखा ने कहा कि समाज के हर वर्ग का गरीब तबका खुशहाल रहेगा तभी समाज भी संपन्न व मानवीय हो सकेगा।

उधर, गरीब जनक्रांति पार्टी ने सवर्ण आरक्षण का विरोध किया है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दीनबंधु क्रांतिकारी ने कहा कि इससे समाज में द्वेष फैलेगा।


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