जेल में बैठे अपराधियों ने बदला ट्रेंड, अपनी धाक बनाए रखने को कर रहे इन तरीकों का इस्तेमाल
मुजफ्फरपुर जेल में हुई छापेमारी तो पेड़ों के बीच आलू के खेत में मिले सेलफोन। जेल में बंद शातिरों के बदलते ट्रेंड के सामने आने के बाद प्रशासन गंभीर।
मुजफ्फरपुर, [ संजय कुमार उपाध्याय ]। जेल से संचालित होनेवाले अपराध में लिप्त बदमाशों का ट्रेंड बदला है। इसका पर्दाफाश शहीद खुदीरामबोस केंद्रीय कारा में प्रशासनिक छापेमारी के बाद हुआ है। नियमित और प्रशासनिक जांच से बचने के लिए जेल में बंद शातिरों ने अपने सेलफोन को छिपाने के लिए नया ठिकाना तलाश लिया है। इस ठिकाने को बदमाश सुरक्षित मान रहे हैं। बड़ी आपराधिक घटनाओं की साजिश में प्रयुक्त होनेवाले सेलफोन को कारा परिसर में हरी पत्तियों से लदी झाडिय़ों और पेड़-पौधों के बीच छिपाया जाता है। जब कभी इससे बात नहीं बनती तो मौसमी फसल के बीच इसे छिपाया जाता है। इस बार पेड़-पौधों के अलावा आलू की हरी पत्तियों के बीच छिपाया गया था।
बदमाशों पर निगरानी को नई व्यवस्था
जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष व एसएसपी जयंत कांत ने जेल की तलाशी ली तो प्रारंभ में कुछ भी नहीं मिला। इस बीच अधिकारी द्वय ने जब यहां के पेड़-पौधों और आलू के खेत में जांच कराई तो आलू की हरी पत्तियों के पास मिट्टी के साथ छिपाए गए पांच सेलफोन मिले। बदमाशों के इस तरीके को गंभीरता से लेते हुए डीएम ने जेल अधीक्षक को कहा- नियमित जांच के तरीके में बदलाव की जरूरत है। इसे सख्त करिए। साप्ताहिक जांच इस तरीके से करें कि परिसर में कहीं से भी कोई आपत्तिजनक चीज जेल में न रहने पाए।
कारा कर्मियों के स्तर पर लापरवाही
जानकार बताते हैैं कि कतिपय कारा कर्मियों की लापरवाही के कारण जेल में सेलफोन आदि उपलब्ध हो रहा है। इसमें लिप्त कारा कर्मियों की पहचान के बाद उनकी भूमिका देखी जा रही है। जेल अधीक्षक ने इस मामले में जेल उपाधीक्षक व वार्डन समेत आधा दर्जन से यह पूछा है कि सघन सुरक्षा घेरे के बावजूद आपत्तिजनक चीजें कैसे पहुंचीं।
अब पेड़-पौधों की भी निगरानी
डीएम आलोक रंजन घोष बताते हैैं जेल के बंदी बेहद शातिर हैैं। इनलोगों ने हरी पत्तियों वाले पेड़ व पौधों में सेलफोन छिपाने का रास्ता निकाला था। इसे ध्वस्त कर दिया गया है। कर्मियों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैैं। किसी भी सूरत में ऐसा नहीं चलेगा।