वंचितों को पढ़ा रहे सम्मानित जीवन का पाठ, स्लम एरिया के बच्चों के बीच बांट रहे शिक्षा
इनको बना रहे हुनरमंद, इनके प्रयास से रेडलाइट एरिया में आंगनबाड़ी केंद्र व स्वास्थ्य केंद्र हुए स्थापित, विशेष समुदाय के बीच काम शुरू करना एक चैलेंज था।
मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। प्रकृति ने सबको एक जैसा बनाया। फिर कोई सम्मानित, कोई वंचित क्यों? इस सवाल ने गायघाट के ब्रह्मोत्तरा निवासी परमहंस को हमेशा झकझोरा। जब उन्हें मौका मिला तो वे वंचितों के बच्चों के अंदर शिक्षा, सम्मान व स्वरोजगार की भूख जगाने में जुट गए। जेपी सिपाही परमहंस स्लम एरिया के बच्चों को शिक्षा से जोडऩे के साथ-साथ उन्हें बचत की आदत डालने के लिए भी प्रेरित कर रहे। उनके अभियान का ही परिणाम है कि इस समाज के कई बच्चे मुख्यधारा से जुड़कर पढ़ाई कर रहे। उनका सामाजिक व शैक्षणिक स्तर सुधरा है। परमहंस कहते हैं कि विशेष समुदाय के बीच काम शुरू करना एक चैलेंज था। विशेषकर इनका भरोसा जीतना।
अनगढ़ बचपन को संवारने का संकल्प
वर्ष 1994 की घटना है। एक बार परमहंस चतुर्भुज स्थान से गुजर रहे थे। वहां खेल रहे बच्चों पर उनकी नजर पड़ी। जब उससे बात की तो पता चला, वे स्कूल नहीं जाते। तत्क्षण उनके जेहन में एक बात आई कि होश संभालते ही इनको भी उसी अंधगली में धकेल दिया जाएगा। मन ही मन उन्होंने इन बच्चों के बीच ज्ञान की रोशनी फैलाने का संकल्प लिया।
शुरू किया संपर्क अभियान
इसके बाद अपने संकल्प को मूर्त रूप देने के लिए संपर्क अभियान शुरू किया। इसमें प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता वीजी श्रीनिवासन ने मदद की। अदिथि के संस्थापक बीजी श्रीनिवासन अब नहीं हैं, लेकिन उनके सहयोग से परमहंस को अपने अभियान को एक मुकाम तक ले जाने में मदद मिली। पहले उन्होंने उन बच्चों की पढ़ाई के लिए डे केयर सेंटर खोला। यहां मंडी के बच्चों को रखकर शिक्षा से जोडऩे की पहल की गई। लड़कियों को हुनरमंद बनाने के लिए सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया गया।
जब इनके हुनर को लोग पसंद करने लगे तो इनके अंदर सम्मान के साथ जीवन गुजारने की भावना जगने लगी। इस अभियान से जुड़ी सहाना कहतीं है कि सर जी (परमहंस) की पहल से बच्चों के अंदर शिक्षित और हुनरमंद बनने की लालसा जगी। आरंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद यहां के बच्चों को बाहर के स्कूलों में दाखिला मिलने लगा।
इनकी पहल से बच्चों का भविष्य हुआ बेहतर
संगठन से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता रंजू बेगम कहती हैं कि इनकी पहल से बच्चों का भविष्य बेहतर हुआ है। सरकार भी इस इलाके लिए सोचने लगी है। यहां आंगनबाड़ी केन्द्र व शहरी स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना की गई है। रेडलाइट एरिया कि बेटी नसीमा को देश स्तर पर रिलायंस गु्रप ऑफ कंपनी की ओर से 'रीयल हीरो' सम्मान मिला है।
कुछ अलग करने की चाहत
गायघाट के ब्रह्मोत्तरा में 1948 में जन्मे परमहंस की प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई। सिमरा हाइस्कूल से मैट्रिक पास करने के बाद 1962 में शहर आए। आरडीएस कॉलेज में इंटर में नामांकन कराया। इसी बीच भूदान आंदोलन से जुड़ गए। पांच जून 1970 में जब जेपी मुजफ्फरपुर आए तो उनके संपर्क मेंं आए। इसके बाद जिला सर्वोदय मंडल से जुड़ गए।
इसी कड़ी में महिला डेवलपमेंट सेंटर की स्थापना कर स्लम एरिया व रेडलाइट इलाके में काम शुरू किया। पूर्व निगम पार्षद व संस्थापक अखिल भारतीय कलाकार मंच मुजफ्फरपुर रानी बेगम ने कहा कि समाजसेवी परमहंस की पहल से इस समुदाय के बच्चों के अंदर शिक्षा, हुनरमंद बनने तथा बचत की प्रवृत्ति बढ़ी है। बच्चों के साथ महिलाओं व बेटियों को सम्मान मिल रहा है। उनकी पहल के साथ समाज के सभी लोग भी सजग हुए हैं।