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Darbhanga News : दरभंगा के केवटी में बागमती नदी पर अबतक नहींं हो सका पुल का निर्माण

चचरी पुल को स्थानीय ग्रामीणों ने बनाया तात्कालिक विकल्प नए विधायक से जगी उम्मीद केवटी एवं स‍िंंहवाड़ा दो प्रखंडों से जोडऩेवाली बाजिदपुर टेकटार मार्ग के बाजिदपुर टेकटार धाट में अघवारा समूह की बागमती नदी पर अबतक पुल का निर्माण नही हो सका है।

By DharmendraEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 03:17 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 03:17 PM (IST)
Darbhanga News : दरभंगा के केवटी में बागमती नदी पर अबतक नहींं हो सका पुल का निर्माण
बाजीदपुर- टेकटार के बीच बागमती नदी पर बना चचरी का पुल। जागरण

दरभंगा, जेएनएन। बिहार में विकास की रफ्तार के बीच प्रखंड के विभिन्न इलाकों में कई पुल - पुलियों के बन जाने से जहां एक ओर इलाके की तस्वीर बदल गई है। लोग विकास की रफ्तार में दौड़ रहे हैं। वहीं केवटी एवं ङ्क्षसहवाड़ा दो प्रखंडों से जोडऩेवाली बाजिदपुर - टेकटार मार्ग के बाजिदपुर टेकटार धाट में अघवारा समूह की बागमती नदी पर अबतक पुल का निर्माण नही हो सका है।राजनेता तथा जनप्रतिनिधियों के कोरे आश्वासन के बीच जनकांक्षाएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं। नतीजा यह कि आज यह अतीत की कहानी बनकर रह गई है। सरकारी स्तर पर पुल का निर्माण नहीं होता देख ग्रामीणों द्वारा जनसहयोग से नदी पर चचरी पुल का निर्माण करवाया तो जाता है। लेकिन यह पुल प्रतिवर्ष बाढ़ के पानी की तेज धारा में बह जाने से लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ता है। इस मुद्दे को पूर्व विधायक डॉ .फराज फातमी ने भी विधानसभा में उठाया था।

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हालांकि केवटी से डॉ. मुरारी मोहन झा के विधायक चुने जाने के बाद इलाके के लोगों में उम्मीद जगी हैं कि अब इस चचरी पुल का दिन बहुरने के साथ-साथ लोगों की समस्या दूर होने वाला है। पुल निर्माण नहीं होने से केवटी प्रखंड की कोठिया पंचायत के त्रिमुहान, बग्घा, भतौरा, पचमा, मंगरथू, बाजिदपुर, कोठिया, सादिकपुर आदि गांवों के लोगों को करीब 15 से 20 किमी की अतिरिक्त दूरी तय कर मुहम्मदपुर होकर रजिस्ट्री ऑफिस, कमतौल थाना व मार्केङ्क्षटग आदि कामों के लिए कमतौल आना पड़ता है। इसके पड़ोसी पंचायत असराहा व जलवारा के लोगों को भी जमीन रजिस्ट्री के काम से कमतौल आना पड़ता है। पूर्व पंसस रामप्रकाश साह व मनीष कुमार ने बताया कि आमजन के हित में नदी पर पुल का निर्माण आवश्यक है। बाढ़ के समय चचरी पुल बह जाने से नाव के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं रहता हैं। 


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