एलएस समेत 10 कॉलेजों को स्वायत्तता का दर्जा मिलने की उम्मीद, यूजीसी ने दिए संकेत
यूजीसी की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन शुरू। उत्तर बिहार का प्रीमियर कॉलेज डीम्ड यूनिवर्सिटी के दर्जे का हकदार। ऑटोनोमस बनने पर परीक्षा के लिए विवि पर नहीं होगी निर्भरता।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। शहर के लंगट सिंह महाविद्यालय समेत राज्य के 10 कॉलेजों को स्वायत्तता (ऑटोनोमस) का दर्जा मिल सकता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने हाल ही में उच्च शिक्षा संस्थानों को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा देने संबंधी नए नियमन जारी करने के बाद इस बारे में संकेत दिए हैं। यूजीसी की वेबसाइट पर इसके लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। रजिस्ट्रेशन में बिहार के जिन कॉलेजों के नाम का उल्लेख है उनमें मुजफ्फरपुर के एलएस कॉलेज समेत 10 शामिल हैं।
एलएस कॉलेज के प्राचार्य प्रो. ओमप्रकाश राय का तो यहां तक कहना है कि यह कॉलेज उत्तर बिहार का प्रीमियर कॉलेज है और डीम्ड यूनिवर्सिटी के दर्जे का हकदार भी। नए नियमनों के मुताबिक, डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा उन संस्थानों को मिलना है जो कम से कम 20 साल पहले अस्तित्व में आ चुके हों। छात्रों की संख्या कम से कम 2000 हो तथा एक तिहाई छात्र पीजी एवं शोध कार्यों में नामांकित हों।
शिक्षकों की संख्या कम से कम 100 होनी चाहिए और शिक्षक-छात्र अनुपात 1:20 से कम नहीं होना चाहिए। इस मानदंड को भी यह कॉलेज पूरा करता है। हालांकि, कुछ अन्य शर्तें भी हैं जिनको ये पूरा नहीं करता है बावजूद शिक्षक व छात्र इस कॉलेज को दर्जे का हकदार बताते हैं। इसके अलावा, नियमनों में छात्रों की संख्या, नैक की ग्रेडिंग एवं एनआइआरएफ रैंकिंग को भी अर्हता का पैमाना तय किया गया है।
सूची में शामिल कॉलेज
एलएस कॉलेज, मुजफ्फरपुर, सीएम साइंस कॉलेज, दरभंगा, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, पटना, गया कॉलेज, गया, मारवाड़ी कॉलेज, भागलपुर, मिल्लत टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, मधुबनी, संत जेवियर्स कॉलेज ऑफ एजुकेशन, पटना व टीएनबी कॉलेज, भागलपुर।
पढ़ाई के अलावा परीक्षा का पैटर्न बनाना भी संभव
बुस्टा के महासचिव प्रो. अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि अगर कॉलेज को स्वायत्तता मिल जाती है तो यह अपनी जरूरत के हिसाब से नए पाठ्यक्रम की पढ़ाई शुरू कर सकता है। इसके लिए विश्वविद्यालय से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। पाठ्यक्रम के सिलेबस में भी फेरबदल के लिए कॉलेज प्रशासन स्वतंत्र होगा। स्वायत्तता मिलने से कॉलेज पढ़ाने के अलावा परीक्षा का पैटर्न भी बना सकता है। लिहाजा, विश्वविद्यालय का हस्तक्षेप गिने-चुने मामलों तक ही सीमित हो जाएगा। ये कॉलेज स्वयं वित्त पोषित पाठ्यक्रम भी शुरू कर सकेंगे।
मदद पर रोक न लगे तो अच्छा
हालांकि कुछ शिक्षकों ने इसका विरोध भी किया है। उनका कहना है कि इस फैसले से शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा। हर स्वायत्तता प्राप्त कॉलेज अपने हिसाब से कोर्स में बदलाव करेगा जिसका असर छात्रों पर पड़ेगा। बुस्टा महासचिव का कहना है कि कॉलेज के स्वायत्त संस्थान बनने पर भी यूजीसी व सरकार फंडिंग जारी रखती है कि नहीं यह बड़ा सवाल होगा। पटना वीमेंस कॉलेज बिहार का इकलौता स्वायत कॉलेज है।
यह सम्मान लगातार तीन बार राष्ट्रीय आकलन और प्रत्यायन परिषद (नैक) द्वारा ग्रेड ए मिलने पर दिया जा चुका है। बीआरएबीयू कुलपति प्रो. अमरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि एलएस कॉलेज बिहार के एतिहासिक और प्राचीन महाविद्यालय में से एक है। राज्य सरकार ने विशेष कॉलेज का दर्जा दे रखा है। मगर ऑटोनोमी के बारे में अभी मुझे कोई सूचना नहीं मिल पाई है।